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बीकानेर,जो अन्याय का विरोध कर सके, वही युवा है। आप जहां भी हैं, जिस परिस्थिति हैं, वहीं से अन्याय का विरोध करने के लिए तैयार हो सकते हैं। यह उद्बोधन चिंतक डॉ. नंदकिशोर आचार्य ने उरमूल सीमांत बज्जू में युवावर्ग के साथ मुख्य वक्ता के रूप हो। में संवाद स्थापित करते हुए व्यक्त किए। उरमूल सीमांत बज्जू द्वारा डॉ. आचार्य के साथ सीमांत कार्यालय बज्जू में डेजर्ट रिसॉर्ट सेन्टर और उरमूल सीमांत बज्जू द्वारा सहआयोजित मरु मंथन शिविर में सहभागी विभिन्न राज्यों से आए युवावर्ग के बौद्धिक अभिमुखीकरण के तहत समाज विकास में युवाओं की भूमिका विषयक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया था। डॉ. आचार्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि युवा शब्द का समाज विकास की दृष्टि में केवल जैविक युवा होने अथवा युवावय मात्र से अभिप्राय नहीं है। हम जिस समाज में रहते हैं, वहां अपनी निजी परिस्थितियों की जगज सामूहिक परिस्थितियों एवं समय की मांग के अनुसार युवावर्ग की क्या जिम्मेदारी डॉ. र है और वे उसके प्रति अपने युवत्व को कैसे प्रमाणित करते हैं, समाज का विकास उसी पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि युवा वह है जो अपने निर्णय स्वयं लेता है। आप जहां भी अन्याय देखें, उसका विरोध करें। असल में तो अन्याय का विरोध करने के लिए तैयार होने वाला ही युवा है, चाहे उसकी उम्र कितनी भी प्रारंभ में उरमूल सीमांत परिवार की ओर से सचिव सुनील लहरी ने मुख्य वक्ता डॉ. आचार्य एवं मुख्य अतिथि वरिष्ठ इंजीनियर अशोक खन्ना का सम्मान किया। मुख्य अतिथि अशोक खत्रा ने कहा कि कोविड 19 के विकट और लंबे दौर के पश्चात् डेजर्ट रिसोर्ट सेन्टर और उरमूल सीमांत बज्जू द्वारा युवाओं के लिए इस प्रकार के रचनात्मक एवं विचारवान संवाद आहूत करना सहभागी युवाओं के लिए बहुत सार्थक मंच सिद्ध हुआ। उरमूल सीमांत की अध्यक्ष सुशीला ओझा ने सामाजिक विकास युवाओं को अपनी सकारात्मक

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