
बीकानेर,प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा अपने गत साढ़े चार दशकों की सृजनात्मक एवं रचनात्मक यात्रा में नव पहल व नवाचार के तहत इस बार ‘पुस्तकालोचन’ कार्यक्रम जो कि पुस्तक संस्कृति एवं आलोचना विधा को समर्पित है, जिसकी तीसरी कड़ी स्थानीय नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन-सदन में डॉ. अजय जोशी के नवीन राजस्थानी निबंध संग्रह ‘‘न्यारा निरवाळा निबंध’’ पर आयोजित हुई।
पुस्तकालोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक कमल रंगा ने कहा कि डॉ. अजय जोशी के निबंध उनके निजी चिंतन एवं अनुभूति की सहज अभिव्यक्ति है। रंगा ने आगे कहा कि निबंध में सीमित, क्रमबद्ध और सुव्यवस्थित होना चाहिए तभी वह प्रभावी होगा।
निबंध के बारे में बताते हुए रंगा ने कहा कि निबंध शब्द फ्रांसीसी है, जिसे पहली बार 16वीं शताब्दी में मान्तने ने साहित्य की विधा के रूप में स्थापित किया। यह संक्षिप्त गद्य रचना का रूप है, जो किसी एक विषय पर विचार और राय प्रस्तुत करता है। यह कथा, साहित्य, पत्रकारिता और वैज्ञानिक साहित्य के निकट है।
समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ आलोचक एवं शिक्षाविद् डॉ. उमाकान्त ने कहा कि डॉ. जोशी के निबंध सारगर्भित एवं जीवनोपयोगी है। डॉ. गुप्त ने आगे कहा कि निबंध की समृद्ध परंपरा रही है, निबंध में साहित्य की सभी विधाओं के कुछ महत्वपूर्ण तत्वों का समावेश रहता है। निबंध गद्य साहित्य की अन्य विधाओं की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली एवं अभिव्यंजना की दृष्टि से कठिन है।
डॉ. गुप्त ने कहा कि पुस्तकालोचन कार्यक्रम अपने आप में नव पहल है, जिसके माध्यम से विशेष तौर से आलोचना साहित्य पर ठोस मंथन होता है। साथ ही पुस्तक संस्कृति को समृद्ध करने का प्रज्ञालय का यह एक सही एवं सकारात्मक नवाचार है।
‘‘न्यारा निरवाळा निबंध’’ पर आलोचनात्मक विचार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने डॉ. अजय जोशी के संग्रहित 35 निबंधों पर अपनी राय रखते बताया कि ये निबंध भाषा के स्तर पर सहज है वहीं विचारों एवं चिंतन के स्तर पर अपनी मौलिकता को लिए हुए है।
पुस्तक पर बतौर संवादी अपनी बात रखते हुए वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने डॉ. अजय जोशी के निबंधों को विभिन्न पक्षों को उजागर करने वाला एवं साहित्य, समाज, शिक्षा जैसे विषयों पर अपनी अनुभूति व्यक्त करने वाला बताया।
दूसरे संवादी युवा कवि विप्लव व्यास ने डॉ. जोशी के निबंधों को विशेष तौर से युवा एवं महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण बताया। निबंध का शिल्प एंव कथ विचारों की गूंथन है।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए युवा कवि गंगाबिशन बिश्नोई ने प्रज्ञालय संस्थान के गत साढे चार दशकों के साहित्यिक अवदान को रेखांकित करते हुए पुस्तकालोचन के महत्व को बताया।
कार्यक्रम में साहित्यकार बुलाकी शर्मा, राजाराम स्वर्णकार, गिरिराज पारीक, अशोक रंगा, डॉ. नृसिंह बिन्नाणी, चित्रकार योगेन्द्र पुरोहित, कवि शिव दाधीच, प्रेम नारायण व्यास, बी. एल नवीन, शिवशंकर शर्मा, शक्कूर बीकाणवी, गंगाबिशन बिश्नोई, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, तोलाराम सारण,घनश्याम ओझा, कार्तिक मोदी सहित गणमान्यों की सहभागिता रही।
कार्यक्रम का सफल संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया एवं सभी का आभार प्रेम नारायण व्यास ने ज्ञापित किया।