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बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में शुक्रवार को ”मशरूम उत्पादन और मूल्य संवर्धन” को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मानव संसाधन विकास निदेशालय में आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतीश कुमार गर्ग और विशिष्ठ अतिथि देश में मशरूम मैन नाम से प्रसिद्ध बिहार के डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ दयाराम थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एसकेआरएयू कुलपति डॉ अरुण कुमार ने की। विशेष आमंत्रित सदस्यों में कुलसचिव डॉ देवाराम सैनी, वित्त नियंत्रक श्री राजेन्द्र खत्री थे। राजुवास कुलपति प्रो. सतीश कुमार गर्ग ने कहा कि तकनीक के इस्तेमाल से आज भारत के किसी भी कोने में मशरूम समेत कोई भी कृषि उत्पाद संभव है। साथ ही कहा कि कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन से ही किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होने कहा कि राजस्थान में महिलाएं कृषि और पशुपालन से ज्यादा जुड़ी हैं लिहाजा उन तक नई तकनीक पहुंचाना आवश्यक है।

देश में मशरूम मैन नाम से प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक डॉ दयाराम ने कहा कि मशरूम पूर्णतया शाकाहारी उत्पाद है और इसकी खेती एक झोपड़ी से शुरू की जा सकती है। उन्होंने कहा कि तापमान और नमी को कंट्रोल करके मशरूम का उत्पादन कहीं भी संभव है। इसकी प्रोसेसिंग और पैकेजिंग महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षण में मशरूम उत्पादन के साथ साथ मशरूम के कोफ्ता, पकोड़ा, अचार, बिस्किट, लड्डू, पनीर समेत विभिन्न उत्पाद बनाने के बारे में बताया जाएगा। उन्होने बताया कि बिहार में करीब ढाई लाख परिवार मशरूम की खेती से जुड़े हैं और करीब 30 हजार टन मशरूम का उत्पादन करते हैं। डॉ दयाराम ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय की एक सीमा होती है। यहां तकनीक उपलब्ध करवाई जा सकती है लेकिन मशरूम की खेती से बड़ी संख्या में युवाओं और किसानों को जोड़ना होगा। तभी मशरूम की खेती में राजस्थान बहुत आगे जा पाएगा।

एसकेआरएयू कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय परिसर में मशरूम यूनिट को आगे बढ़ाने में हर प्रकार का सहयोग किया जाएगा। खासकर मशरूम प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। मशरूम बिस्किट के अलावा मशरूम का अचार समेत विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे पूर्व कुलसचिव डॉ देवाराम सैनी ने कहा कि आज हर होटल के मेन्यू में मशरूम की सब्जी होती है। उन्हें पता चला कि मशरूम से पनीर, कोफ्ता, पकोड़ा,अचार समेत विभिन्न उत्पाद बनाए जा सकते हैं।प्रशिक्षण ले रहे प्रतिभागी तकनीक का अधिकतम इस्तेमाल कर मशरूम का उत्पादन करें। वित्त नियंत्रक श्री राजेन्द्र खत्री ने कहा कि कृषि में महिलाओं का योगदान सबसे अहम है। कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से वे उत्पादन बढ़ाने में सफल होंगी।

कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों को साफा पहनाकर और बुके भेंट कर स्वागत सत्कार से की गई। स्वागत उद्बोधन में प्रशिक्षण समन्वयक और पादप रोग विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ दाताराम ने बताया कि 15 से 17 मार्च तक आयोजित इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण में कुल 40 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। इसे निशुल्क रखा गया है। साथ ही बताया कि कृषि विश्वविद्यालय में मशरूम यूनिट पिछले दो साल से चल रही है जिसमें चार ट्रेनिंग अब तक दी जा चुकी है। कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ पीके यादव ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि मशरूम मैन डॉ दयाराम ने जिस प्रकार बिहार को देश का नंबर वन मशरूम उत्पादन राज्य बनाया है। इनके प्रशिक्षण से यहां के किसानों को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। मंच संचालन सुश्री शिप्रा शर्मा ने किया।

कार्यक्रम में प्रसार निदेशक डॉ सुभाष चंद्र, अधिष्ठाता सामुदायिक विज्ञान कॉलेज डॉ विमला डुकवाल, स्नातकोत्तर शिक्षा अधिष्ठाता डॉ दीपाली धवन, मानव संसाधन विकास निदेशालय निदेशक डॉ एके शर्मा, आईएबीएम निदेशक डॉ आईपी सिंह, डॉ अर्जुन यादव, डॉ अशोक शाक्य, कृषि पर्यवेक्षक श्री आरएस शेखावत समेत कृषि विश्वविद्यालय के बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स मौजूद रहे।

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