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बीकानेर,जीवन में खुद पर विश्वास न करना, खुद को कमतर और बेकार मानना तथा अपनी क्षमता का सम्पूर्ण उपयोग नहीं करना – एक तरह से आत्महत्या ही है. आत्महत्या के लिये मरना ज़रूरी नहीं है. अपने पोटेंशियल से कम काम करना, अपनी योग्यता को एक्सपांड नहीं करना और नेपथ्य में या बैकफुट पर अकर्मण्य बनकर पड़े रहना भी एक प्रकार की आत्महत्या ही है. ये विचार इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. गौरव बिस्सा ने इंस्टिट्यूट ऑफ़ कम्पनी सेक्रेट्रीज़ ऑफ़ इण्डिया की जोधपुर शाखा द्वारा आयोजित सीपीई आवर्स व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये. “पॉवर ऑफ़ पॉजिटिविटी” विषयक व्याख्यान में डॉ. बिस्सा ने भगवद्गीता के कॉन्सेप्ट “टोटल क्वालिटी माइंड” की व्याख्या करते हुए कहा कि व्यक्ति को मस्तिष्क को इतना स्थिरचित्त और एकाग्र बना देना चाहिये कि बाहर के डिस्ट्रेकशंस का प्रभाव दिमाग पर पड़ ही न सके. इस अवसर पर डॉ. बिस्सा ने टायलेनोल की केस स्टडी, सेन्ट्रल फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी की रिसर्च और बीस से ज़्यादा शोध पत्रों की सहायता से यह स्थापित किया कि इन्डियन मैनेजमेंट वास्तव में पॉजिटिव मैनेजमेंट है और भारतीय प्रबंध प्रणाली विश्व में बेहतरीन है. इस अवसर पर बिस्सा ने कम्पनी सेक्रेट्रीज़ को स्ट्रेस एंड पॉजिटिविटी, माइक्रो लेवल एलिमेंट्स की ताकत और इगिकाई टेक्नीक की जानकारी भी दी.

इंस्टिट्यूट ऑफ़ कम्पनी सेक्रेट्रीज़ ऑफ़ इण्डिया की जोधपुर शाखा के अध्यक्ष दीपक केवलिया ने डॉ. बिस्सा का स्वागत किया और कहा कि प्रति पल कुछ नया सीखते रहना ही ज़िन्दगी का उद्देश्य है. सीएस इंस्टिट्यूट के सचिव देवेन्द्र कुमार ने कहा कि जानकारी को, सूचना के भंडारण को या किसी विषय विशेष को रट कर तैयार कर लेने को ज्ञान नहीं कहा जा सकता. वास्तिक ज्ञान विजडम का या प्रज्ञा का उदय है.
कार्यक्रम का संचालन और आभार ज्ञापन सीएस दीपक केवलिया ने किया. कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद ज्ञापन दिव्यांशी जैसवाल ने किया

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