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बीकानेर,उपचार,बीकानेर एवं  मेडिकल प्रेक्टिशनर सोसायटी, बीकानेर,इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, बीकानेर की ओर से रविवार को लाॅयंस क्लब परिसर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में चिकित्सकों ने कहा कि मीडिया जनता व चिकित्सकों के बीच सेतु बनने का कार्य करें तथा चिकित्सा संबंधी किसी भी प्रकरण में चिकित्सक व रोगी के पक्ष की बात जनता तक पहुंचाएं।  व्यक्तिगत स्तर पर किसी भी संदेश व समाचार को प्रामाणिकता की जांच कर प्रकाशित करेंगे।
संवाददाता सम्मेलन में उपचार के राज्य अध्यक्ष , जयपुर के डाॅ.सांवरमल बाजिया ने कहा कि निजी चिकित्सकों का जनता मीडिया, पुलिस व प्रशासन से आग्रह है कि वे सब अस्पतालों में चिकित्सकों को भयमुक्त व शांतिपूर्ण वातावरण देने में सहभागिता निभाएं। जिससे चिकित्सक गंभीर से गंभीर रोगी का इलाज करने में डरे नहीं और वह अपनी तरफ से इलाज की पूरी कोशिश कर पाए। उपचार के जोनल सचिव नागौर के डाॅ.देवेन्द्र चैधरी ने कहा कि अस्पतालों में अनहोनी होने की दशा में भीड़ के एकत्रित होने से हंगामा करने से, धरना प्रदर्शन करने से तथा हिंसा करने से धीरे-धीरे चिकित्सकों का मनोबल टूटता जाएगा और प्रदेश में रोगियों को मिलने वाले ईलाज का स्तर भी धीरे-धीरे गिरता जाएगा और गंभीर रोगों का ईलाज महंगा होता चला जाएगा। उन्होंने मीडिया से कहा कि अस्पतालों में व्यक्गित स्वार्थों की पूर्ति के लिए हिंसा करने वालों को प्रोत्साहन नहीं दें।
उपचार के सचिव सीकर के डाॅ. सुनील गौरा ने कहा कि मानव शरीर बहुत ही जटिल मशीन है। आधुनिक विज्ञान की इतनी प्रगति के बावजूद भी इंसान के शरीर व इसके रोगों को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। उन्होंने संवाददाता सम्ममेलन के माध्यम से जनता से अपील की कि अस्पतालों में ईलाज लेते समय मरीज, चिकित्सकों से पूर्ण स्वास्थ्य होने की गारंटी की अपेक्षा नहीं करें, चिकित्सक अपने रोगों को पूर्ण स्वस्थ करने के लिए संकल्पबद्ध रहता है, लेकिन होनी को कोई नहीं टाल सकता । यदि चिकित्सक ही सब कुछ होता तो वह अपने परिजनों को कभी भी मरते नहीं देता।
इंडियन मेडिकल एसोसिशन बीकानेर के सचिव डाॅ.हरमीत सिंह ने कहा कि इस मानव शरीर रूपी जटिल मशीन के ईलाज के समय अस्पतालों में भय मुक्त शांति पूर्ण वातावरण हर समय बना रहना अंत्यन्त आवश्यक है।
बीकानेर प्रेक्टिशनर सोसायटी के अध्यक्ष डाॅ. ए.पी. वहल ने कहा कि जिस तरह से सामान्य जीवन में सड़क पर चलते समय होने वाली दुर्घटनाओं को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, चाहे कितनी भी अच्छी सड़कें बनादी जाए, चाहे कितनी भी सख्ती से यातायात नियमों को लागू कर दिया जाए, चाहे वाहन का चालक कितना भी सजग व कुशल क्यों न हो । उसी तरह अस्पतालों में भी दुर्घटनाएं होती है, इन दुर्घटनाओं के दौरान इंसान अपने प्रिय परिजनों की क्षति के कारण अत्यन्त संवेदनशील होकर किसी भी तरह के असामाजिक तत्वों के उकसाने से असामाजिक कृत्यों को कारित करने में सहभागिता नहीं निभाएं ।  उपचार, बीकानेर के सचिव डॉ. रोचक तातेड़ ने कहा कि कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने मेडिकल, दुर्घटना के आरोपों की जांच के लिए एक अत्यन्त, सरल किन्तु महत्वपूर्ण प्रक्रिया निर्धारित की है। घटना-दुर्घटना होने पर रोगी व परिजन व्यक्तिगत हिंसा की बजाए न्याय संगत कार्यवाही करें। उपचार बीकानेर के अध्यक्ष डॉ.गौरव गोम्बर ने कहा कि चिकित्सक बनने पर शपथ दिलाई जाती है कि किसी निजी परिजन से पहले कोई रोगी आए तो उसका इलाज ईश्वर को सर्वोपरि मानकर मानवता को ध्यान में रखकर करें। चिकित्सक मेडिकल की शिक्षा की शपथ, मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया तथा मानवीय आधार पर रोगी को परमात्म स्वरूप मानकर अपने पूरे ज्ञान व अनुभव के साथ इलाज करता है।  रोगी की  उम्र परमात्मा द्वारा लिखी होती है, इसमें चिकित्सक को दोषी नहीं ठहराकर विधि के विधान को भी मानना चाहिए। इस अवसर बीकानेर के निजी चिकित्सक मौजूद थे। इस अवसर डाॅ.बी.एल. स्वामी ने भी बताया कि उन्होंने किसी भी मरीज के इलाज में कोई कोताही नहीं बरती, अस्पताल में दुर्घटना से कालग्रस्त हुए रोगी के प्रियजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते है ।

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