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बीकानेर,जिले में दर्जनों ऐसे गांव है जो आज सौर उर्जा उत्पादन के हॅब बने हुए है। दशकभर पहले तक धोरों में गुम इन गांवों के नाम अब सौलर एनर्जी जगत में चमकने लगे है। जिले में जामसर,जलासर,हापासर,चक अकडि़वाला,कालासर समेत दर्जनों ऐसे गांव है जहां लगे सोलर प्लांट ने संभाग, राज्य स्तर व राष्ट्र में इनकी पहचान कायम कर दी है। लोगों को रोजगार मिला और समय के बदलाव के साथ लोगों के जीवन यापन का अंदाज बदला है। सभी जानते हैं कि सोलर एनर्जी से सस्ती बिजली मिलती है। इसलिए सरकार भी इसे बढ़ावा दे रही है। इसका दूसरा बड़ा सच यह है कि गांव में बैठे उस किसान को भी दो वक्त की रोटी मिल रही है जिसकी बंजर जमीन में अन्न का एक दाना नहीं होता था। इन गांवों के किसानों ने हजारों बीघा जमीन सोलर कंपनियों को या तो बेच दी या लीज पर दे रखी है। इससे अच्छी कीमत और किराया मिलने से किसान के घर भी खुशी आई है। ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर से जुडऩे के बाद सोलर एनर्जी उत्पादन का हब बनते जा रहे हैं इन गांवों में कई कंपनिया बिजली उत्पादन कर रही है।
-दिखने लगी खुशहाली की रौनक
जिले में दर्जनों गांवों के किसानों की जमीने सोलर प्लांट के अंदर आने के बाद बंजर जमीने भी तीन गुना धन उगलने लगी है। किसान को अपनी बंजर जमीन की भी मुंह मांगी कीमत या अनुबंध के आधार पर किराया मिला है। उसी पैसों से आज मात्र तीन वर्ष के समय में क्षेत्र का ग्रामीण जीवन परिवेश पूरी तरह बदल गया है। आज इन गांवों में कच्चे घरो की जगह पक्की कोठीयो का निर्माण हो गया है। साथ ही प्रत्येक घर में लक्जरी गाड़ी आपको मिल जाएगी। गांवों में अच्छी सडक़ों की सुविधाएं। इसके साथ ही किसान पुत्र को अच्छा जीवन, महंगी शिक्षा लेने और अपने शौक पूरे करने का अवसर मिला है।
-हर हाथ को मिला काम
सोलर पार्क में कंपनियों के निवेश ने क्षेत्र में रोजगार के अवसर को चार गुना कर दिए हैं। पहले लोगों के पास अपने खेत में काम करने के अलावा कोई काम नहीं होता था। लोग ठाले बैठे भी नजर आते थे। वहीं वर्तमान में यहां टेक्निशियन्स, मजदूर की तो की बड़ी संख्या में जरुरत रहती है। साथ हीं साथ यहां काम करने वाले कर्मियों के कारण होटलों, रिक्शा चालकों, टैक्टर व माल वाहनों की हर समय जरुरत रहने से लोगों की बेरोजगारी खत्म हुई है। जिससे उनकी आय मजबूत होकर आर्थिक दशा में सुधार आया है।

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