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बीकानेर,माननीय कानून और न्याय मंत्री जी इतनी सी बात पर भाव विभोर मत होइए। धरातल को देखिए और आत्म विश्लेषण करिए। देश ने आपको ये अवसर भाव विभोर होने के लिए नहीं दिया है। वैसे भी आप धरातल से ऊपर भावों में ही जी रहे है। बेशक आप अच्छे इंसान, सरकार और पार्टी के प्रति निष्ठा रखने वाले और बेहद मेहनती है। मोदी ने आपको नया दायित्व भाव विभोर होने और स्वागत करवाने के लिए दिया हो तो पूछ लीजिएगा। जनता में आपके इस दायित्व से कितना जोश है इसका आकलन महापौर के घर प्रायोजित पार्टी के लोगों की मालाएं पहन कर मत कीजिए। अब तक आपके किए कामों और नए दायित्व को ठीक से निभाने से जनता में जोश को मापिए। ये मालाएं तो आपके इर्द गिर्द के लोगों की है जो मात्र तुष्टिकरण ही है। ये लोग तो आपको भाव विभोर ही देखना चाहते हैं। सोचना आपको है कि अपने भावों पर कितना नियंत्रण रखना है। आकलन यह करना है कि अपने ससदीय क्षेत्र, राजस्थान, देश के लिए अब तक जो किया है क्या वो सब आपको भाव विभोर करता है। अपने संसदीय क्षेत्र में भाजपा संगठन की जो स्थिति है वो आपको भाव विभोर करती है? संसदीय क्षेत्र में डेढ़ दशक से ऐसा कुछ भाव विभोर करने वाला काम किया है? आप जिन पार्टी कार्यकर्ताओं से माला पहन कर भाव विभोर हो रहे है यह आपका भटकाव ही है! शायद यह बात आपको ठकुर सुहाती नहीं लगेगी। मोदी जी का आपने जो आभार जताया है यह सही बात। उनकी कृपा ही आपके राजनीतिक जीवन की ऊंचाइयां है। आप न्याय के जो भी पेडिंग मामलों को निस्तारण जल्दी करना चाहते हैं करिए। तकनीक की सहायता लीजिए। अदालतों का सहारा लीजिए। जजों की संख्या बढ़ाईए और न्याय का आधारभूत संसाधन विकसित करिए जो करना है वो करिए, परंतु भाव विभोर मत होईए। ज्यादा भाव विभोर होने वाले नेताओं का पतन हो जाता है। आप मानते हैं कि समस्याएं बहुत है लेकिन एक प्रमुख उद्देश्य है जो लंबित मामले हैं उनका निस्तारण शीघ्र हो। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री जी ने आपको जो दायित्व दिया है उसका निर्वाह कैसे करते हैं ? क्या प्रधानमंत्री जी का सही मायने में आभार मानेंगे। या पद पाकर भाव विभोर ही होते रहेंगे।

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