बीकानेर,अगर कुछ करने की मंशा हो तो कलक्टर साहब आप बीकानेर की जेल की जमीन से शहर की तस्वीर बदल सकते हैं। शहर को बदला हुआ और नया बना सकते हैं। इसका खाका तैयार है। बस खाका खींचना भर है । योजना पुरानी है। न्यास अध्यक्ष के रूप में पुरानी फाइल की धूल झाड़नी है। आप देखोगे कि बीकानेर की तस्वीर बदल जाएगी। योजना के मुताबिक नया आधुनिक बाजार बन जाएगा। रोजगार के अवसर बढ़ जाएंगे। अपनी एडमिनिस्ट्रेटिव स्किल दिखाने मात्र से सब कुछ हो जाएगा बस करने भर की जरूरत है। बीकानेर में जेल की भूमि बेशकीमती सरकारी संपदा है । पुरानी जेल हटाकर बीच में एक आलीशान पत्थर का सर्किल भी बनवाया गया था तथा उस सर्किल के चारो और सड़क भी बनवाई गई थी, जब सर्किल बना था तो बहुत ही सुंदर लगता था, इस कार्य पर यू आई टी/नगर निगम ने करीब दो से ढाई करोड़ रुपए खर्च भी किए थे, मगर अब उस सर्किल के पत्थर व डिजाइन वाली जालियां तो करीब करीब गायब हो चुकीं हैं, सड़क भी सारी टूट चुकी है । राजीव गांधी भ्रमण पथ के आगे वाली सड़क भी पिछले चार साल से टूटी हुई पड़ी है। नगर विकास न्यास प्रशासन तो क्या कर रहा है बताने की जरूरत नहीं है। आधे जन प्रतिनिधि तो न्यास अध्यक्ष पद हथियाने में लगे हैं आधे गहरी नींद में सोए हुए लग रहे है । वे अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर रहे हैं। इधर से गुजरने वाले राहगीर और आस पास की आबादी में रहने वाले परेशान है।
बीकानेर की ऐतिहासिक जेल की भूमि करीब ढाई सौ करोड़ की व्यावसायिक रूप से चिन्हित भूमि अनुपयोगी पड़ी है। इस जेल की भूमि से वित्तीय संकट से गुजर रही राज्य सरकार को राजस्व मिल सकता। व्यवसायियों के लिए मॉल, सिनेमा घर, होटल शापिंग कांप्लेक्स, ज्वेलरी मार्केट जैसे विकल्प प्रस्तावित है। इस भूमि के विक्रय से मिलने वाले राजस्व की 30 प्रतिशत राशि नगर विकास न्यास को देने का प्रावधान है। इस राशि से न्यास शहर के विकास का काम करवा सकती है। पिछले एक दशक से न्यास को इस परिसंपति की तरफ ध्यान ही नहीं है। अनुमानित ढाई सौ करोड़ का यह भू संपदा कचरा घर बनी हुई । बीकानेर शहर के सौंदर्य पर काला धब्बा बना हुआ है। इस विडंबना को कोई तो तोड़ो। कई कलक्टर आए और चले गए। नए कलक्टर साहब से उम्मीद है। यह काम न्यास अध्यक्ष के रूप में हमारे जिला कलक्टर ही कर सकते हैं।