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बीकानेर, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री मृगावतीश्रीजी मसा, के सान्निध्य में बुधवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ के दी़क्षा कल्याणक जप,तप व सामूहिक मंत्र जाप के साथ मनाया गया। उपासरे में ’’’’ऊं हिं् श्री नमोः भगवते नेमिनाथाय नम’’ के सामूहिक मंत्र जाप की गूंज से वातावरण पूर्ण भक्ति बन गया।
साध्वीश्री मृगावती ने प्रवचन में कहा कि जैन धर्म के 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने अपनी शादी के मौके पर बली के लिए लाए गए निरीही पशुओं की चित्कार से प्रभावित होकर  राजपाठ, सुख-वैभव को छोड़कर संयम मार्ग अंगीकार कर लिया। तीन दिवसीय ’’तेळा’’ का  उपवास रखकर एक हजार राजाओं के साथ दीक्षा ग्रहण की। उनका दीक्षा, केवल्य ज्ञान एवं मोक्ष कल्याणक गिरनार तीर्थ पर हुआ। श्री समुद्र विजयनृप नंदन, शिरोदेवी माता के पुत्र, यादववंश विभूषण, शौरीपुर नरेश, श्री गिरनार तीर्थ मंडल के अनंत उपकारी भगवान नेमिनाथ ने हजारों वर्ष पहले जीवदया, अहिंसा, संयम का संदेश, वर्तमान समय में भी प्रासंगिक है। भगवान नेमिनाथ के आदर्शों से प्रेरणा लेकर मन,कर्म व वचन से किसी प्रकार की हिंसा नहीं करें ना ही किसी प्रकार की हिंसा की अनुमोदना करें। भगवान नेमिनाथ ने गिरनार तीर्थंमंडल की प्रतिष्ठा की, इसलिए उनके दीक्षा के दिन को गिरनार दिवस भी कहा जाता है। छतीसगढ़ जगदलपुर से आए गुरु भक्त व गायक मनोज दुग्गड़ व अनिल बुरड़ व श्रावक-श्राविकाओं ने भी गीतिका पेश की तथा अनेक श्रावक-श्रावकाओं ने उपवास, बेला (दो दिन उपवास), तेळा ( तीन दिन उपवास), आयम्बिल तप, भगवान नेमिनाथ के साथ परमेश्वर शंखेश्वर पार्श्वनाथ मंत्र का जाप किया।

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