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बीकानेर,पत्रकारिता में ग्लैमर है। हर कोई मान प्रतिष्ठा के भुलावे में आकर खुद को पत्रकार कहलाने और बनने के मोहपाश में बंध जाता है। युवा पीढ़ी पत्रकारिता के मोहजाल में अपने जीवन की कार्य दक्षता को दाव पर लगा रही है। मेरी युवा पीढ़ी को सलाह है कि वे पत्रकारिता करें तो दमखम के साथ करें। पत्रकारिता विषय का पूरा अध्ययन करें। विषय की गहराई को समझे। पत्रकार के दायित्व और कर्तव्य को जाने। साथ ही इसके कानूनी पक्ष का अध्ययन करें तभी पत्रकारिता क्षेत्र में पैर रखें। आप में समाज और राष्ट्रीय की सेवा का जज्बा नहीं हो तो कृपा करके पत्रकारिता में नहीं आए। अन्याय और अव्यवस्था के खिलाफ डट कर खड़ा होने की हिम्मत और हर चुनौती से जूझने का आत्मबल नहीं हो तो आप दूसरा काम करें। पत्रकारिता में आकर दलाल, गोदी पत्रकार, पीत पत्रकारिता जैसे उपमाओं से शोभित नहीं हो। अगर आप पत्रकारिता के नाम पर ऐसा करते हैं तो पेशे की साख ही नहीं घटाते बल्कि राष्ट्रीय हित, जन हित और मानवता के प्रति पत्रकार कहलाकर अपराध करते हैं। वैसे पत्रकारिता विशुद्ध रूप से लोकतंत्र की सेवा है। ऐसा करके ही कोई पत्रकार समाज में साख पा सकता है अन्यथा तो बहुत कुछ हो रहा पत्रकारिता के नाम पर। पिछले दिनों बीकानेर में स्थानीय पत्रकारों का शिष्टमंडल जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल से मिला और उनसे आग्रह किया कि फर्जी पत्रकारों को सूचीबद्ध कर उनके सार्वजनिक कार्यों में तथाकथित पत्रकार की भूमिका में आने पर रोक लगाई जाए। पत्रकारों के इस शिष्टमंडल का यह प्रशंसनीय कदम है। जिला कलक्टर ने उनको सुना और आश्वासन दिया। वास्तविक स्थिति तो यह कि ऐसे लोगों पनाह कौन दे रहे हैं? संरक्षण और बढ़ावा देने वाले पर लगाम लगाकर पत्रकारिता के क्षरण को रोका जा सकता है। वैसे तो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को समाज और व्यवस्था आदर के साथ देखते रहे हैं। गैर पत्रकारों की जमात जब से पत्रकारिता में सक्रिय हुई है तब से साख पर बट्टा लगा है। युवा पीढ़ी को पत्रकारिता का अध्ययन करके पेशे के एथिक्स और सेवा की भावना से ही दमखम के साथ ही इस पेशे में आना चाहिए। कृपया दलाल कहलाने के लिए कतई नहीं आएं। बेशक ऐसा करने से समाज और देश का भला है। इसी से पत्रकारिता की खोती जा रही साख पुनर्स्थापित हो सकेगी।

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