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बीकानेर,सादुलगंज पॉलिटेक्निक कॉलेज के सामने स्थित आयुष्मान हार्ट केयर सेन्टर में 83 वर्षीय मरीज को कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बी.एल. स्वामी एवं उनकी टीम नें संभाग का ब्लूटूथ ऑपरेबल इन्ट्राकार्डियक डिफिब्रिलेटर (आई.सी.डी.) मरीज के हार्ट में बिना बेहोशी की दवा दिये छोटे से छेद से तीन घंटे तक चले इन्टरवेन्शन से सफलतापूर्वक ट्रान्सप्लान्ट किया गया। इस इन्टरवेन्शन के बाद अब संभाग के लोगों में नई उम्मीद की किरण जगी है कि अब बीकानेर में विश्वस्तरीय हृदय रोगों का उपचार संभव है। डॉ. स्वामी ने बताया कि मरीज पेशे से डॉक्टर है। उनकी साल 1990 में हार्ट अटैक आने के बाद बाईपास सर्जरी हुई थी। पिछले 2 सालों में लगभग सात बार बेहोश होकर गिरे है, जिसे मेडिकल भाषा में अचानक हुआ कार्डियक अरेस्ट कहते है। साथ ही पम्पिंग भी 35: है। जिससे भविष्य में मरीज को जान का खतरा था साथ ही हार्ट फेलियर की संभावना थी। इसलिये इन्ट्राकार्डियक डिफिब्रिलेटर लगाने का निर्णय लिया गया। जिससे वेन्ट्रीकुलर टेकिकार्डिया (धड़कन 200 बीट/मिनट) होने पर यह डिवाइस शॉक (Shock) देगी जिससे धड़कन नियंत्रित होगी एवं जान जाने का खतरा कम होगा। साथ ही अगर धड़कन कम हो तो पेसमेकर का काम कर धड़कन भी बढ़ायेगी। साथ ही मोबाइल पर ऐप के द्वारा मरीज के परिजनों एवं सम्बन्धित अस्पताल को टेलीमेट्री से तुरन्त अगर वह विदेश में है तो भी सूचना मिलेगी एवं हार्ट फेलियर की स्थिति में फेफड़े के प्रतिरोध (इम्पीडेन्स) को चेक कर लगभग 15 दिन पहले मोबाइल ऐप पर अलर्ट भेजकर सावधान करेगी। जिससे यह डिवाइस हार्ट अटैक हार्ट फेल मरीज के लिए वरदान साबित हो सकती है। इतनी उम्र के मरीज की टेढ़ी-मेढ़ी नाडिय़ों में इस डिवाइस को ट्रांसप्लान्ट करना भी मेडिकल साइंस में एक सराहनीय कार्य साबित हुआ है।
इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर क्या है?
इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर या एआईसीडी, एक विद्युत उपकरण है जिसका उपयोग हृदय की धड़कन को नियमित करने के लिए हृदय रोगी के सीने में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह उपकरण हृदय रोगी की जानलेवा, तेज दिल की धड़कन का पता लगाता है। इस असामान्य दिल की धड़कन को अतालता कहा जाता है। यदि ऐसा होता है तो आईसीडी जल्दी से हृदय को बिजली का झटका भेजता है। यह झटका हृदय की धड़कन को वापस सामान्य कर देता है जिसे डीफिब्रिलेशन कहा जाता है। इस प्रकार आईसीडी मरीज की हार्ट फेल से जान जाने का खतरा कम कर देती है। इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर कब लगाते है? एआईसीडी उन हृदय रोगियों को लगाया जाता है जिनके हृदय की धड़कने नियमित नहीं रहती। जिससे अचानक होने वाले कार्डियक अरेस्ट से जान जाने का खतरा रहता है। अन्य स्थितियां जैसे कि जिनको पहले दिल का दौरा आया हुआ है या फिर 35 प्रतिशत या उससे कम का इंजेक्शन फ्रैक्शन वाले मरीज जिनको किसी भी प्रकार से हार्ट फेल होने का खतरा है।

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