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बीकानेर,पीबीएम हॉस्पिटल के एफ वार्ड में एक मरीज स्ट्रेचर पर लेटा तड़प रहा था। उसके मुंह से झाग निकल रहे थे। वहां खड़े एक शख्स से देखा नहीं गया। उसने रेजिडेंट डॉक्टर से कहा कि पहले इस मरीज को देखें। जब डॉक्टर ने इग्नोर किया तो उस शख्स ने दुबारा अपनी बात दोहराते हुए कहा-यह मर जाएगा डॉक्टर साब। डॉक्टर तुनक कर बोला- तुम कौन हो। देख लेंगे। वहीं पर बैठी एक महिला रेजिडेंट मोबाइल पर बिजी थी। उस शख्स ने उनसे रिक्वेस्ट की। लेकिन वह अनसुना कर वार्ड में एक मरीज को देखने चली गई।

वह शख्स और कोई नहीं संभागीय आयुक्त नीरज के पवन थे। जो रविवार रात रियलिटी चैक करने अकेले पीबीएम हॉस्पिटल गए थे। जैकेट की कैप से सिर ढका होने और चेहरे पर मास्क होने से डॉक्टर उन्हें पहचान नहीं सका। लेकिन कुछ ही देर एक नर्स ने उन्हें पहचान लिया। फिर क्या था। पीबीएम में हड़कंप मच गया। सीनियर डॉक्टरों तक बात पहुंची। लेकिन उनके आने से पहले ही पवन वापस लौट गए। पीबीएम के ऐसे हालात देख उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. मुकेश आर्य और सुपरिटेंडेंट डॉ. परमेंद्र सिरोह को आड़े हाथों लिया। पवन ने कहा- एक आम आदमी की ही डॉक्टर नहीं सुनते। ना एप्रेन पहनते हैं और ना ही आई कार्ड गले में रखते हैं। जबकि यह अनिवार्य है। उन्होंने पीबीएम की व्यवस्थाओं में सुधार के निर्देश देते हुए रात के समय सीनियर डॉक्टर्स को वार्ड में रहने के लिए पाबंद करने
को कहा। दरअसल संभागीय आयुक्त को सूचना मिली थी कि रात के समय वार्ड में डॉक्टर अक्सर लेट आते हैं। मरीजों को अटेंड करने में कोताही बरती जाती है। प्राइवेट लैब के दलाल वार्डों में धूमते हैं। उनके माध्यम से मरीजों की जांचें कराई जाती हैं। वे वेश बदलकर चैक करने गए तो एफ वार्ड में एक पेशेंट को दौरा आ रहा था। उसकी हालत देख वे विचलित हो गए।

डॉक्टर को नोटिस जारी

संभागीय आयुक्त के कहने पर भी मरीज नहीं संभालने और गलत व्यवहार करने पर रेजिडेंट डॉक्टर को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है। दरअसल उस रेजिडेंट की ड्यूटी नहीं थी। वह किसी और काम से वार्ड में गया था। व्यवस्थाओं में सुधार के लिए सभी एचओडी की मीटिंग ली जाएगी।

डॉ. मुकेश आर्य, प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज

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