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बीकानेर संभाग मुख्यालय पर करोड़ों की सरकारी जमीन भू माफिया और कब्जेधारियों से छुड़ा ली गई है। यह ए सी आर जिस अधिकारी के खाते में गई है वो जनहित के हर मामले में पहल करते हैं। यही नहीं फरियाद लेकर जाने वाले गरीब, असहाय और जरूरतमंद को संतुष्ट करने का यथासंभव प्रयास करना उनके कार्य निस्तार की शैली है। वैसे संभागीय आयुक्त का पद जनता की नजरों में पोस्ट आफिस का डिब्बा जितना ही माना जाता रहा है। है भी समन्वय, समीक्षा, संदेश के अलावा संभागीय आयुक्त अभी तक कुछ ज्यादा करके नहीं गए हैं। वैसे इस बड़े प्रशासनिक पद के अधिकारी को जनहित में संवेदनशीलता से काम करना ही चाहिए। यही उनकी दक्षता और साख होती है। के ई एम रोड पर एकतरफा यातायात को बीकानेर की जनता ने सुधार के रूप महसूस किया है। रेलवे क्रॉसिंग पर अंडर ब्रिज अब कोई दूर की कोड़ी नहीं रह गई है। पी बी एम अस्पताल में जो सुधार की दिशा चल रही है उसमें कई स्थायी समाधान की उम्मीदें पूरी होती लगती है। अतिक्रमण अस्पताल के आस पास ही नहीं शहर भर में हटाए जा रहे हैं। इस से शहर को शकुन मिला है। चौराहों का विकास, यातायात में सुधार जनता की रोजमर्रा की दिक्कते कम करने वाले कदम है। नागरिक अब जन समस्याओं का समाधान संभागीय आयुक्त के पास ढूंढने लगे हैं। कानून व्यवस्था की बात हो, जन सुनवाई, बाल वाहिनी या विकास की बात हर काम में जिम्मेदारी के साथ सकारात्मक पहल करने वाले संभागीय आयुक्त की सक्रियता को जनता सिर माथे मानती है। जनता की उम्मीदें बढ़ती जा रही है। बीकानेर के लंबित समस्याएं और विकास के मुद्दों पर प्रशासनिक और राज्य सरकार के स्तर पर समाधान की भी आस संभागीय आयुक्त से की जाने लगी है। कुछ तो और कर दो। जनता सुपर हीरो मानेगी। याद करेगी और आशीष भी देगी।

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