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बीकानेर,बीटी कॉटन में गुलाबी सुण्डी नियंत्रण विषय पर सोमवार को आत्मा सभागार, कृषि भवन में जिला स्तरीय कार्यशाला आयोजित की गई।बीटी कॉटन में लगने वाले गुलाबी सुंडी रोग से बचाव के लिए किसानों को इस रोग के प्रकोप में निगरानी, नियंत्रण के संबंध में विशेष जानकारी दी जाने हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाने हैं। इसी क्रम में कृषि अधिकारियों, प्रगतिशील कृषकों व जीनिंग मिल मालिकों को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला सहायक निदेशक कृषि मीनाक्षी शर्मा के आतिथ्य व सहायक निदेशक कृषि सुरेंद्र मारू की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत ने बताया कि किसान, कॉटन की आगामी बुवाई से पूर्व कॉटन जिनिंग मिलों के मालिक तथा किसान, बीटी कॉटन के अवशेष प्रबंधन के लिए जिनिंग उपरान्त अवशेष सामग्री को नष्ट करें, जिससे समुचित रूप से कीट का प्रबंधन किया जा सकें। किसान बीटी कॉटन की लकड़ियों का प्रबंधन सही तरीके से करें, जिससे गुलाबी सुण्डी के प्रकोप को शुरूआती अवस्था में ही रोका जा सके। उन्होंने बताए कि जिले में मार्च तक 124 ग्राम पंचायतों में गुलाबी सुण्डी के नियत्रंण व प्रबन्धन पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। कृषकों को गुलाबी सुण्डी के प्रबन्धन विषय पर निःशुल्क पम्पलैट व साहित्य वितरण किया जाएगा। वहीं सोमवार को आयोजित कार्यशाला में कृषकों, विक्रेताओं एवं फील्ड स्टाफ से ग्राम पंचायत स्तरीय गोष्ठियों में अधिक से अधिक किसानों की भागीदारी का आग्रह किया गया। कृषि विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिक डॉ. केशव मेहरा ने गुलाबी सुण्डी के कॉटन की फसल को होने वाले नुकसान एवं कीट के जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भण्डारित कपास को ढक कर रखें, जिससे गुलाबी सुण्डी के पतंगे खेतों में फसल पर अण्डे नही दे सकेंगे। उन्होंने बताया कि जिले में जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान के कारण नमी के कम होने से व जिनिंग मिलों में रेशों एवं बिनौला निकाले के लिए लाये गये कच्चे कपास से गुलाबी सुंडी का प्रभाव अधिक होता है। इसलिए जिनिंग मिल मालिकों द्वारा कपास की अवशेष सामग्री को समय पर नष्ट किया जाना आवश्यक है। संतोष नायक एरिया मैनेजर राशी सीड्स ने किसानों एवं जिनिंग मिल मालिकों को अपनी खेतों तथा जिनिंग मिलों के आस-पास फैरोमेन ट्रैप व पतंगे ट्रैप लगाकर कीट के प्रभाव की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कीट नियंत्रण के लिए रासायनिक कीटनाशक की जानकारी प्रदान की। टिड्डी नियंत्रण विभाग के प्लांट प्रोटेक्शन अधिकारी एन के भार्गव ने टिड्डी नियंत्रण पर व्याख्यान दिया। टिड्डी नियंत्रण विभाग के एपीपीओ मोनिका स्वामी ने टिड्डी के विभिन्न इन्सटार को प्रायोगिक रूप से परखनली में पहचान हेतु प्रर्दशित किया।
कार्यशाला का संचालन कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत ने किया। कार्यशाला में कृषि विभाग के अधिकारी महेन्द्र प्रताप, ममता, मीनाक्षी, संगीता, मामराज, मेधराज, सोमेश तंवर, गिरीराज के साथ कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक तथा जिले के कॉटन जिनिंग मालिक, बीटी कॉटन उत्पादक कम्पनियों के प्रतिनिधियों एवं किसानों ने भाग लिया।

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