बीकानेर,राजस्थान में नगर पालिकाएं, परिषद और नगर निगमों की कार्य प्रणाली को लेकर जर्बदस्त असन्तोष है। इन संस्थाओं में जनता की अनसुनी,
अनदेखी, अनियमितता औऱ सेवाओं में कमी की शिकायतें आम हैं। इसका एक कारण जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों की कमी तो दूसरा कारण उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पाना हैं। ये स्वायत्त शासी संस्थाएं घाटे में चल रही है। जनता का इनसे सीधा काम पड़ता है। अधिकतर पालिकाओं, परिषदों औऱ निगमों के कार्यों को लेकर जनता थू थू कर रही है। इन स्वायत शासी संस्थाओं में अनियमितता का बोलबाला है। लगता ऐसा है कि सरकार की सीधे सीधे इन संस्थाओं की अनदेखी है, परंतु राजस्थान में नोखा नगर पालिका का अलग ही काम हैं। नियमित साफ सफाई, आवारा पशुओं की समस्या, ड्रेनेज, रोड लाइट, सड़क निर्माण और जनता से जुड़ी नगर पालिका की किसी भी समस्या पर जनता को परेशान होने की जरूरत नहीं है। नगर पालिका अध्यक्ष खुद सीधे जनता की बात सुनते हैं फोलोअप कर वापस सूचना देने वाले व्यक्ति से काम हो जाने की पुष्टि करते हैं। इस कार्य प्रणाली की राज्य सरकार चाहें तो स्ट्डी रिपोर्ट तैयार करवा सकती है। इस पैटर्न को अन्य जगहों पर लागू कर सकती है। पिछले कई दशकों से नोखा पालिका का बोर्ड न कांग्रेस का और न भाजपा बल्कि विकास मंच का भारी बहुमत से बार्ड बन रहा है। इसका कारण नोखा नगर पालिका की कार्य प्रणाली है जिसे सरकार को भी नीति निर्देशों के साथ अपनाना चाहिए।