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बीकानेर, शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार श्री कमल किशोर पारीक के सृजन पर चर्चा और सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए व्यंग्यकार, लेखक,संपादक प्रोफेसर अजय जोशी ने कहा कि कमलकिशोर पारीक मौन साधक हैं। उनके सृजन की भाषा सरल, सहज और संप्रेष्णीय है। उनकी कविताओं की एक पुस्तक भी प्रकाशित हो चुकी है दूसरी प्रकाशन प्रक्रिया में हैं। उनके पास अपने पिता स्वतंत्रता सेनानी श्री सत्यनारायण जी पारीक की समृद्ध विरासत है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि बैंक सेवा से सेवा निवृति के पश्चात समाज एवं साहित्य सेवा में लग गए। कमलजी ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज की पीड़ा को अभिव्यक्ति दी है। उनकी कविताएं जन मानस से जुड़ी हुई है। वर्ष 2021 में इनका पहला काव्य संग्रह ‘खिलती कलियाँ’ प्रकाशित हुआ जिसमें इनके द्वारा भोगे हुए यथार्थ को परिभाषित करने का उपक्रम किया है। यह काव्य संग्रह इन्होंने अपने पिता स्वतंत्रता सेनानी सत्यनारायण पारीक और अपनी माता श्रीमती निर्मला पारीक को समर्पित किया है। स्वर्णकार ने बताया कि कमलजी की दो पुस्तकें संस्मरण और डायरी विधा पर प्रकाशन की प्रक्रिया में है।

अपने विचार व्यक्त करते हुए कमल पारीक ने कहा कि मेरे माता-पिता के संस्कारों के साथ मेरे ससुरजी वैध्य ठाकुरप्रसादजी जिन्होंने एक सौ तीन वर्ष तक लगातार सेवाएं दी इनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है जो जीवन की सच्चाई है। इसी राह परचलते हुए मैं सफल हो रहा हूं।

इस अवसर पर डीपीएस स्कूल की निदेशक स्वाति पारीक ने अपने पिताजी के व्यक्तित्व-कृतित्व के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि दादाजी और पिताजे के सही मार्गदर्शन में मैंने अपने जीवन के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर लिया। समाजसेवी राजेंद्र भटनागर ने व्यास कॉलोनी के पार्क में कमलजी की दिनचर्या को परिभाषित किया। झंवरा, मीनाक्षी, सौरभ और अन्य उपस्थित जन ने कमलजी के व्यक्तित्व के विविध आयामों पर चर्चा की। श्रीमती सुमन पारीक ने आभार ज्ञापित किया।

 

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