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बीकानेर,प्रदेश में स्थापित चौदह सौ से अधिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश परीक्षा का जिम्मा भले ही एक विश्वविद्यालय के पास है लेकिन बी.एड. कोर्स कराने के लिए अलग अलग विश्वविद्यालयों से संबद्ध कॉलेजों में प्रवेश लेकर परीक्षा भी अलग अलग विश्वविद्यालयों से देनी पड़ती है इससे विद्यार्थियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि सभी विश्वविद्यालयों में न केवल मूल्यांकन का तरीका असमान है बल्कि परीक्षा भी अलग अलग समय पर होती है जिसके कारण परिणाम में भी विलंब होता है। इससे समय समय पर होने वाली शिक्षक पात्रता परीक्षा एवं भर्ती परीक्षा से प्रशिक्षणार्थी वंचित रह जाते हैं। ऐसी स्थिति में प्रदेश में शिक्षा विश्वविद्यालय की महती आवश्यकता है। प्रदेश में वर्तमान बजट में भी शिक्षा विश्वविद्यालय की घोषणा नहीं होने से शिक्षक शिक्षा से जुड़े अभिभावक, विद्यार्थी एवं शिक्षाविदो को निराशा का सामना करना पड़ा। यदि प्रदेश में शिक्षा विश्वविद्यालय खुलता तो एक ही विश्वविद्यालय से बी.एड, एम.एड तथा एकीकृत पाठ्यक्रम की परीक्षा संभव हो जाती है। इससे एक सत्र में सभी विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं, पाठ्यक्रम तथा मूल्यांकन का तरीका भी समान हो जाता है। यदि राज्य में शिक्षा विश्वविद्यालय स्थापित होता है तो राज्य सरकार को ज्यादा बजट नहीं देना होगा क्योंकि प्रदेश में शिक्षा संबंधी पाठ्यक्रमों से जुड़े संस्थानों से प्राप्त होने वाला संबद्धता शुल्क, आवेदन शुल्क, परीक्षा शुल्क आदि से इतनी राशि एकत्रित हो जाती है कि विश्वविद्यालय का कार्य सुचारू रूप से संचालित हो जाता है। प्रदेश में शिक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना से न केवल परीक्षा की समय सारणी एक समान होगी बल्कि मूल्यांकन प्रक्रिया में भी समानता आयेगी और परिणाम भी अविलंब घोषित हो सकेगा। प्रदेश में मेडिकल विश्वविद्यालय, तकनीकी विश्वविद्यालय, आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय, विधि विश्वविद्यालय, खेल विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय, पुलिस विश्वविद्यालय एवं खुला विश्वविद्यालय पहले से ही संचालित है लेकिन शिक्षक शिक्षा से जुड़े शिक्षा विश्वविद्यालय के विषय मे आज तक किसी भी सरकार ने नहीं सोचा है।

*इनका कहना है*

राज्य में शिक्षा संबंधी पाठ्यक्रमों से जुड़े कुल चौदह सौ से अधिक संस्थानों में लगभग डेढ़ लाख से अधिक विद्यार्थी प्रतिवर्ष प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं इसके बावजूद भी स्वयं का विश्वविद्यालय नहीं होना तथा बजट में इसे स्थान न देना चिंता का विषय है। अतः सरकार को चाहिए कि बजट में शिक्षा विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा करके शिक्षक शिक्षा को एक नया आयाम देने में अपनी भूमिका निभाएं।
डॉ. राजेंद्र श्रीमाली
शिक्षक शिक्षा से जुड़े शिक्षाविद

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