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बीकानेर सौ साल से ज्यादा पुरानी निदेशालय को प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र बीकानेर की रियासतकालीन गोल में कार्य करने पर मिले पुरस्कार, बिल्डिंग का उपयोग प्रदेश की शिक्षा खेल के क्षेत्र में मिली ट्रॉफियों और के क्षेत्र की उपलब्धियों के प्रदर्शन के लिए किया जाएगा। इस भवन पर लाखों रुपए खर्च कर जीर्णोद्धार कराया जा रहा है।

इस भवन में करीब सात दशक तक शिक्षा निदेशालय संचालित हुआ। निदेशालय का नया भवन तैयार होने पर करीब तीन साल पहले शिक्षा निदेशालय के स्टाफ ने इसे खाली कर दिया। अब इस रियासतकालीन भवन की मूल संरचना को बरकरार रखते हुए रंग रोगन कराया जा रहा है।

शिक्षा निदेशालय की अतिरिक्त शिक्षा निदेशक रचना भाटिया ने बताया कि उनकी देख-रेख में गोल बिल्डिंग का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। रंग-रोगन और मरम्मत के बाद इस गोल भवन में शिक्षा उपलब्धियों का प्रदर्शन किया जाएगा। दीवारों पर रियासकालीन चित्रकारी और राजस्थानी कलाकृतियों का चित्रण होगा। यह भवन रियासतकाल में राज सभा के उपयोग में लिया जाता रहा है। ऐसे में अब शिक्षा निदेशालय की अहम बैठकों को करने के लिए इसमें व्यवस्था रहेगी। जो एक तरह कॉन्फ्रेंस हॉल के रूप में काम लिया जाएगा।

महाराजा गंगासिंह शासनकाल के 25 वर्ष पर निर्माण

बीकानेर स्टेट के महाराजा गंगासिंह के शासनकाल के 25 साल पूरे होने पर साल 1912 में बीकानेर राज सभा के गठन की घोषणा हुई। इसके बाद 10 नवंबर, 1913 को राज सभा की प्रथम बैठक रियासतकालीन इसी गोल बिल्डिंग में हुई थी। माना जाता है कि देश में आजादी से पहले राजसभा (विधानसभा) का पहली बार गठन और संचालन बीकानेर रियासत में हुआ था। जो वर्तमान में शिक्षा निदेशालय के पास है। रियासतकाल में यह किंग एलबर्ट जॉर्ज फिफ्थ हॉल कहलाता था।

72 साल पहले स्थापित हुआ शिक्षा निदेशालय

प्रदेश के शिक्षा निदेशालय की स्थापना 16 दिसंबर 1949 को बीकानेर में की गई थी। तब शिक्षा निदेशालय का दफ्तर रियासत कालीन गोल बिल्डिंग में लगाना शुरू किया गया। बाद में 13 दिसम्बर 2017 को शिक्षा निदेशालय का कार्यालय इस पुराने भवन से नए निर्मित प्रशासनिक

भवन में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद से यह गोल बिल्डिंग खाली पड़ी है।

लेजिस्लेटिव एसेम्बली थी यहां

राज्य अभिलेखागार में सुरक्षित किए रियासतकालीन दस्तावेजों के मुताबिक में कियली यासतकालीन दस्त। वृस की बतायदा प्रोसेडिंग की जाती थी। उस पर भी एसेम्बली के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर होते थे। इसकी प्रोसेडिंग से जुड़े दस्तावेजों पर शीघ्र ही राज्य अभिलेखागार एक पुस्तक जारी करेगा।

महेन्द्र खड़गावत,निदेशक राज्य अभिलेखागार बीकानेर

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