Trending Now












बीकानेर,शहर की चारदीवारी में कुछ भवन ऐसे हैं जो न सिर्फ बीकानेर की साख पर बट्टा लगा रहे हैं,बल्कि दुर्घटना को भी न्योता दे रहे हैं। पुराने शहर में बैदों की पिरोल में ऐसे कई मकान देखने को मिले है। इन मकानों की हालत जर्जर हो चुकी है। कई भवन तो चींख-चींख कर अपनी मरम्मत की दुहाई दे रहे हैं। लेकिन भवन मालिक इनकी संभाल नहीं कर रहे। नतीजन अब ये जर्जर भवन क्षेत्रीय लोगों के लिए भी खतरा बन गए हैं। हालांकि नगर निगम प्रशासन ने इन मकानों को चिन्हित कर उनके भवन मालिकों को नोटिस जरूर थमाए हैं। बावजूद इसके निगम की कार्रवाई महज कागजों तक सीमित है। जैसे निगम किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्रवाई करने आने वाली टीम भ्रमण कर निकल जाती है। इनको गिराने का काम नहीं कर रही है। जबकि निगम में अनेक बार शिकायत भी की जा चुकी है।

जर्जर भवनों की सुध नहीं ले रहा निगम प्रशासन
यदि भवन मालिक मकान ध्वस्त नहीं करता है,तो निगम ध्वस्तीकरण की कार्रवाई क रेगा। हालांकि कार्रवाई के नाम पर महज कुछ मकानों को ही ध्वस्त किया गया है। इस पर जोन अधिकारियों का तर्क है कि चिह्नित मकानों में अधिकतर पारिवारिक विवाद से जुडऩे का तर्क देते है। लेकिन इस तर्क के चलते आसपास के लोगों की सांसे हलख में अटकी रहती है। उन्हें हरदम इन मकानों के गिरने का खतरा बरकरार रहता है।

निकलते समय लगता डर
स्थानीय निवासी विजय रांका ने बताया कि जर्जर इमारतें कभी भी बड़े हादसे को अ ंजाम दे सकती है। जब वे यहां से गुजरते हैं तो डर सा बना रहता है। हर समय गलियों में बच्चे भी खेलते रहते हैं। यह एक गंभीर समस्या है प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। लोगों ने यह भी बताया है कि जहां ये मकान स्थित है वहां काफी तंग गलियां है। यहां न तो एम्बुलेंस जाने की सुविधा है और न ही दमकल गाडिय़ों की। ऐसे में कोई बड़ा हादसा हुआ तो काफी नुकसान हो सकता है।

कई बार दिए जा चुके है शिकायती पत्र
मंजर यह है कि जिला प्रशासन एक ओर तो इस प्रकार के जर्जर भवनों को गिराने के आदेश देते है। लेकिन जिनकी ओर से शिकायती पत्र दिए जाते है। उन पर कोई गौर नहीं करता। हालात यह है कि जिला कलक्टर की ओर से ऐसी शिकायतों का फालो अप नहीं लिया जाता। उन्हें बैठकों में जो अधिकारी डाटा दे देते है। उस पर विश्वास कर इतिश्री की जाती रही है। बैदों की पिरोल स्थित जर्जर मकानों को लेकर स्थानीय लोगों की ओर से 12 जुलाई को शिकायती पत्र दिया था। जिसके बाद नोटिस तो चश्पा कर दिया गया। किन्तु बरसाती सीजन निकल जाने के बाद भी आज तक इन जर्जर भवनों को गिराया नहीं गया।

Author