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बीकानेर धर्म नगरी, छोटी काशी जैसे उपनामों से शोभित है। बीकानेर के उपनगर गंगाशहर भीनासर की पूरे देश में धर्म ध्वजा के रूप में पहचान कम नहीं है। इस श्रृंखला में श्री साधुमार्गी शांत क्रांति जैन श्रावक की तरफ से सांड नवकार पौषध भवन की बीकानेर स्थापना दिवस के दिन नींव रखकर प्रतिष्ठा एक कदम और आगे बढ़ी है। स्वामी राम सुख दास जी के कारण उनके अनुयायियों में देश भर में गंगाशहर भीनासर की पहचान अभी भी है। जैन धर्म स्थलों तुलसी शांति प्रतिष्ठान, समता भवन की राष्ट्रीय स्तर पर जैन अनुयायियों में प्रतिष्ठा है। तेरापंथ के आचार्य तुलसी, महाप्रज्ञ और महाश्रण जी, साधुमार्गी जैन संघ के आचार्य राम गुरु और श्री साधुमार्गी शांत क्रांति जैन संघ के आचार्य विजय गुरु समेत विभिन्न संतों ने इस उपनगर में अपनी धर्म ध्वजा फहराई है। इस चोखले की इन जैन संतो के कारण देश में पहचान है। कुछ दिन पहले साधुमार्गी संघ भीनासर ने सेठिया परिवार की ओर से निर्मित समता भवन का उद्घाटन किया गया। चंदा देवी डालचंद सांड चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से अक्षय तृतीया को नव रतन सांड परिवार ने पौषधशाला भवन का शिलान्यास किया। जो श्री साधुमार्गी शांत क्रांति जैन श्रावक संघ का राष्ट्रीय स्तर पर धर्म संघ की गतिविधियों का केंद्र बन सकता है। पौषध का अर्थ है- इस स्थल में आकर श्रावक आत्म भाव को पुष्ठ करे। यहां ऐसे भी श्रावक है जो प्रतिदिन सात सात समाई करते है यानि उठने से सोने के बीच सात आठ घंटे धर्म ध्यान में लगे रहते है। श्री साधुमार्गी शांत क्रांति जैन श्रावको के लिए यह पौषधशाला बड़ा केंद्र होगा। पौषधशाला में रहकर राग- द्वेष से मुक्त वीतरागता में विचरने का साधकों के लिये उत्तम साधना है। अर्थात विरति वॄत्ति अन्त: प्राप्ति अमॄत का झरणा बहेगा।।
पाैषध- जैन धर्म में यह एक ऐसी क्रिया है जिसके माध्यम से श्रावक-श्राविका 1 दिन का साधु-साध्वी जीवन जी सकते हैं। जैन आगमों में पौषध के 18 दोष बताए हैं। यह ऐसे हों जिसमें साधु-साध्वी जीवन अंगीकार करने का मन करे। यदि ऐसा पौषध नहीं करते हैं तो हमें पाैषध की आराधना का दोष लगता है इसलिये पौषधशाला धर्म ध्यान को आगे बढ़ाने का स्थल है और धर्म संघ को नई ऊंचाइयां इसी स्थल पर चिंतन मनन से दी जा सकती है।
पौषध- वह स्थान जहां पौषध-व्रत का पालन किया जाता है।

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