बीकानेर,जयपुर। सोमवार को दिल्ली के आकाशवाणी भवन में चुनाव आयोग ने पत्रकार वार्ता कर राजस्थान समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव तिथि की घोषणा करते हुए राजस्थान में सर्व प्रथम चुनाव होने का एलान किया और 23 नवंबर की तिथि निर्धारित की, जैसे चुनाव की तिथि घोषित हुई वैसे ही विवाद भी खड़ा होने लगा। इसका प्रमुख कारण 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी भी है जो सनातन धर्म में प्रमुख स्थान रखती है।
युवा सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की चुनाव आयोग को 23 नवंबर की तिथि पर पुर्नविचार करना चाहिए क्योंकि इस दिन से सनातन धर्म को मानने वाले सभी तरह के मांगलिक कार्यों को प्रारंभ करते है इस दिन अबूझ मुहूर्त होने से ना केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देशभर में बड़ी संख्या में शादी समारोह के कार्यक्रम होते है। जिसके चलते अप्रत्यक्ष रूप से परिवारों, रिश्तेदारों और दोस्तों में आयोजित विभिन्न मांगलिक आयोजनों में व्यस्त रहते है। बहुत सारे मताधिकारी अपने क्षेत्र से बाहर रहते है जिसके चलते वह अपने मताधिकार से वंचित हो जायेगे। जबकि देश का संविधान अधिक से अधिक मताधिकारी को अपना मत देने का अधिकार देता है किंतु चुनाव आयोग की राजस्थान चुनाव को लेकर निर्धारित 23 नवंबर की तिथि मताधिकारी से उनका अधिकार छीन रही है जिस पर चुनाव आयोग पुर्नविचार करना चाहिए और 23 नवंबर की तिथि में विस्तार करना चाहिए।