बीकानेर,जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में नाहटा चौक के भगवान आदिनाथ मंदिर में भक्तामर स्तोत्र के साथ अभिषेक किया गया तथा स्वर्णकंठा धारण करवाया गया। नाहटा पंचायती प्रन्यास की ओर से आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने हिस्सा लिया तथा प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की पूजा पक्षाल की।
साध्वीश्री ने भक्तामर स्तोत्रों के मंत्रों के साथ भगवान का विभिन्न जड़ी बुंटियों, सुगंधित द्रव्यों, केसर, चंदन, विभिन्न कुओं के जल, नवरत्न चूर्ण, आदि से परमात्मा का 18 अभिषेक करवाया। साध्वीश्री मृगावती ने प्रवचन में कहा कि भक्तामर स्तोत्र को भक्ति भाव से करने से अनेक प्रकार की बाधा, दुःख, बीमारी व कार्य में विफलता आदि परेशानियों का निराकरण होता है। नवंकार महामंत्र के साथ पूजा व अभिषेक के दौरान भक्तामर स्तोत्र के मंत्रों का श्रावक-श्राविकाओं ने साध्वीवृंद के साथ उच्चारण किया।
नाहटा पंचायती प्रन्यास के अध्यक्ष दौलतराम नाहटा ने बताया कि मंदिर 416 वर्ष पूर्व चौथे दादागुरु युगप्रधान जिनचन्द्र सूरिश्वरजी ने सफेद संगमरमर की 68 अंगुल करीब छह फीट तीन इंच ऊंची प्रतिमा की स्थापना करवाई थी। राजस्थान में प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ की यह सबसे बड़ी प्रतिमा है। स्वर्णकंठी करीब 145 ग्राम की है जिसे बड़ी संख्या श्रावक-श्राविकाओं ने श्रद्धाभाव से स्वर्ण का त्याग कर बनवाया है।