बीकानेर, जैनाचार्य जिनचन्द्र सूरिश्वरजी व यतिश्री अमृत सुन्दर म.सा. के सान्निध्य में रांगड़ी चौक के बड़े उपासरे में गुरुवार को बीकानेर एवं बाहर से आए श्रावक-श्राविकाओं ने प्रवचन सुने तथा सत्य साधना की।
जैनाचार्य जिनचन्द्र सूरिश्वरजी ने कहा कि देव व गुरु की भक्ति शुद्ध संकल्प, दृढ़ निश्चिय के साथ करने से पुण्यों की प्राप्ति होती है तथा रोग,शोक व कष्ट दूर होते है। भक्ति में भाव की प्रधानता रहनी चाहिए । भावों को निर्मल बनाकर जिन मंदिर में पूजा अर्चना,जाप करने से आत्मबल मजबूत होता है। मजबूत आत्मबल वाला ही आत्मा व परमात्मा के सत्य स्वरूप् को पहचान कर मोक्ष मार्ग की ओर अग्रसर हो सकता है। मुमुक्षु विकास चौपड़ा ने बताया कि आगम सूत्र में बताया कि मनुष्य जीवन को तरुवर कहते हुए इसके छह फल बताएं गए है। जीवन ही तरुवर है। पुरुषार्थ व सिद्धि से मिले तरुवर के फलों को देव,गुरु व धर्म को अपने आत्म कल्याण के लिए समर्पित करना चाहिए। पर्युषण तो इस तरुवर की जड़ को पवित्रतम बनाने की प्रक्रिया है। मधुर परिणाम के लिए मूल का, जड़ का मधुर होना अनिवार्य हैं।