बीकानेर,चातुर्मास के बाद शहर में रविवार से शहनाइयां गूंजेगी और मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत होगी। अबूझ मुहूर्त में शहर से ग्रामीण क्षेत्रों तक बड़ी संख्या में विवाह होंगे। देव उठनी एकादशी पर होने वाले विवाह को लेकर घरों में मांगलिक कार्यक्रमों का क्रम चल रहा है। पारंपरिक गीतों की गूंज के साथ विभिन्न रस्मो का निर्वहन हो रहा है। विवाह वाले घरों में शनिवार को मायरा, प्रसाद, बनावा आदि रस्में हुई। बनड़ी बनी दुल्हनों ने हाथों पर मेहदी के मांडणे रचवाए। देवउठनी एकादशी होने के बाद रविवार को तुलसी पर रविवार को शहर में जगह-जगह शालिगराम के विवाह होंगे। तुलसी शालिगराम विवाह के भी घरों, मंदिरों और सार्वजनिक आयोजन होंगे। विवाह की विभिन्न
शालिगराम की निकलेगी बारात, तुलसी से होगा विवाह
भगवान विष्णु के योग निद्रा से जाग्रत होने के बाद रविवार को तुलसी सालगिरह के विवाह होंगे घरों व मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर श्रद्धालु लोग विवाह आयोजन करेंगे। कई स्थानों पर भगवान विष्णु के अवतार शालिगराम की गाजे-बाजे से बारात निकलेगी। धूमधाम से तुलसी शालिगराम का विवाह होगा। इस दौरान विवाह की रस्मों का आयोजन होगा। पारंपरिक मांगलिक गीतों का गायन होगा।
अखंड दीपक का पूजन तुलसी त्रिरात्री व्रत पूजन के दूसरे
दिन व्रती महिलाओं व बालिकाओं ने
शनिवार को अखंड दीपक कर उसका पूजन किया। माता तुलसी का षोडशोपचार पूजन किया। ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार आंवला नवमी से तुलसी त्रिरात्री व्रत-पूजन की शुरूआत होती है। व्रती महिलाएं व बालिकाएं द्वादशी को अलसुबह तुलसी चरणामृत ग्रहण कर व्रत का पारणा करती है। तीन दिवसीय तुलसी
व्रत के दौरान महिलाओं व बालिकाओं ने भगवान विष्णु व तुलसी का पूजन कर सौभाग्य प्राप्ति और घर परिवार की सुख समृद्धि की कामना की।
भीष्म पंचक व्रत आज से
देव उठनी एकादशी से पांच दिवसीय भीष्म पंचक व्रत-पूजन की शुरुआत होगी। पूर्णिमा तक व्रत -पूजन होगा। व्रती महिलाएं प्रतिपदा को व्रत का पारणा करेगी। पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार पद्म पुराण में भीष्म पंचक व्रत कथा का विशेष महत्व बतलाया गया है। व्रत के दौरान भगवान लक्ष्मीनारायण का षोडशोपचार पूजन किया जाता है और भगव वासदेवाय मंत्र का जाप और हवन का विधान है।