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बीकानेर,दो साल के बाद राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की परीक्षाएं हो रही है। •विद्यार्थियों को यह भय सता रहा है कि कहीं पेपर लीक न हो जाए। इसकी वजह यह है कि हाल ही में जो प्रतियोगी परीक्षाएं हुई हैं, उनमें से ज्यादातर पेपर लीक हुए हैं। ऐसे में विद्यार्थियों और अभिभावको की यह चिंता जायज भी है। इस बार बोर्ड परीक्षाओं में रेकॉर्ड विद्यार्थी बैठेंगे। दो साल में कोरोना की वजह से सही तरह से परीक्षाओं का आयोजन नहीं हुआ और प्रमोट करके ही छात्रों को अगली कक्षाओं में बैठाया गया था। विद्यार्थियों ने एक साल तक कभी ऑनलाइन, तो कभी ऑफ लाइन जमकर मेहनत की है। इसलिए सभी चाहते हैं कि परीक्षाएं सुरक्षित तरीके से संपन्न हो जाएं। सरकार ने हर बार की तरह सुरक्षा की व्यवस्था की है। मुश्किल यह है कि हर बार परीक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने के दावे किए जाते हैं, लेकिन पेपर लीक करने वाले कामयाब हो जाते हैं। असल में इस सुरक्षा में सेंध लगाने वालों में सरकार के अधिकारी-कर्मचारी भी शामिल होते हैं। यह वाकई चिंता की बात है।

इस बार बोर्ड परीक्षाओं में करीब बीस लाख के आसपास विद्यार्थी बैठेंगे। इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए हर विषय के पेपर की सुरक्षा करनी होगी, क्योंकि राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा 2021 (रीट) और दूसरी परीक्षाओं के दौरान जिस तरह से नकल की कोशिश की गई, पेपर आउट हुए उससे हर कोई आशंकित है। अब भी लोगों को याद है कि रीट के दौरान चप्पल के भीतर ब्लूटूथ उपकरण रखकर नकल की कोशिश की गई थी। चप्पल में लगे ब्लूटूथ में एक चिप लगी हुई थी, जो अभ्यर्थी के कान में लगे माइक्रो इयरफोन से कनेक्ट था। दूसरी तरफ ब्लूटूथ में एक चिप लगी थी, जिसे मोबाइल की सिम से जोड़ा गया था। फोन से ब्लूटूथ को कनेक्ट कर लिया गया। हालांकि अब परीक्षा में नकल रोकने का कानून बनाया गया है। यह कितना कारगर साबित होगा, यह तो भविष्य में पता चल सकेगा। बोर्ड के विद्यार्थी इस बार प्रमोट होने की बजाय अच्छे अंक लाने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। सरकार को ईमानदारी से परीक्षाओं का आयोजन करवाकर विद्यार्थी के भरोसे पर खरा उतरना होगा। इसके अलावा कॉपी जांच में भी ईमानदारी बरतनी होगी। इस काम में लापरवाही से विद्यार्थियों का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता। परीक्षाओं की विश्वसनीयता तो हर हाल में बनी रहनी चाहिए।

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