जयपुर,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को राज्य कर्मचारियों के लिए बोनस की घोषणा की है। लेकिन, घोषणा के 24 घंटे के भीतर ही कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। दरअसल, बोनस के आदेश के लिए प्रतीक्षारत राजस्थान के कर्मचारियों को बोनस के आदेश तो मिल गए, परंतु उसमें से 25 प्रतिशत राशि जीपीएफ में जमा किए जाने पर कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त हो गया है। बता दें कि बोनस की राशि का 50 प्रतिशत भाग जीपीएफ में जमा कराने की शुरुआत गत दो वर्षों में कोविड काल में की गई थी। अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण उस वक्त कर्मचारी संगठन चुप रहे। उस समय आर्थिक गतिविधियां कम हो गई थी। लेकिन, वर्तमान में कोविड का कोई प्रभाव नहीं है और ऐसे में कर्मचारियों के बोनस की एक चौथाई राशि जीपीएफ में जमा करवाना उनके साथ एक बड़ा धोखा है। अल्प वेतनभोगी कर्मचारी दीपावली के त्योहार पर आवश्यक घरेलू खरीदारी करने के लिए बोनस की प्रतीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों ने इस बार उम्मीद लगाई थी कि बोनस की राशि बढ़ाई जाएगी। लेकिन, कर्मचारी महासंघ की मांग के विपरीत बोनस की राशि नहीं बढ़ाई गई बल्कि 25 प्रतिशत राशि जीपीएफ में जमा कराने के आदेश जारी कर दिए गए। एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़, राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पारीक एवं प्रदेश महामंत्री देवेंद्र सिंह नरूका, शेर सिंह यादव, प्रकाश यादव, ओम प्रकाश चौधरी, छोटेलाल मीणा, नागेंद्र सिंह नाथावत, कृष्णेन्दु चटर्जी, बलराम गुर्जर आदि कर्मचारी नेताओं ने कड़ा विरोध व्यक्त करते हुए सरकार से आदेश संशोधित कर बोनस की 100 फीसदी राशि कर्मचारियों को भुगतान करवाने की मांग की है। साथ ही ऐसा नहीं होने पर उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दे डाली है।