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बीकानेर,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द डोटासरा की बीकानेर में प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया की जो दुर्गति हुई उसके दो अर्थ है मीडिया में काम करने वाले लोगों का स्वाभिमान मर गया है उनमें पत्रकार होने का जज्बा ही नहीं बचा है या नेताओं में मीडिया के प्रति सम्मान ही नहीं बचा है। प्रेस नेताओं की पिछलग्गू हो गई है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसके भावी दुष्परिणाम गंभीर होने वाले हैं। इसको आज मीडिया में काम करने वाले लोग या तो समझते नहीं है उन्हें पता ही नहीं की वे मीडिया में क्यों काम करते हैं या उनका उद्देश्य इतर है। खैर जो भी हो दूसरो को आईना दिखाने वाले मीडिया के खुद का आईना धुंधलका हो गया है। यह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा के मीडिया के प्रति व्यवहार से साबित हो गया है। बीकानेर स्थित शगुन पैलेस में 1 बजे डोटासरा की ओर से प्रेस कान्फ्रेस बुलाई गई। डोटासरा पैलेस परिसर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के आवासीय शिविर में रहे। वे अपना काम करते रहे। कार्यकर्ताओं को मीडिया के लोगों के बार बार कहने पर भी निर्धारित समय पर नहीं आए। इस बीच बहिष्कार करने और कार्यकर्ताओं को उलाहना देने जैसी बाते होकर रह गई। करीब डेढ़ घंटे बाद आए और अपनी बात कही। चलते बने। कुछ लौह खोटा कुछ लुहार खोटा। मीडिया कमजोर, परवश और बेचारगी की स्थिति में जान पड़ा। लोकतंत्र में मीडिया चौथा स्तंभ के रूप में इज्जत पाता रहा है। मीडिया की इज्जत इस से जुड़े लोगों की कर्म साधना पर होती है। मीडिया निष्पक्ष हो, निर्भीक हो और वॉच डाग की भूमिका में जनता की सेवा करें तभी मीडिया का सम्मान है। अन्यथा मीडिया पीत पत्रकारिता, गोदी मीडिया, बाजारू मीडिया,बिकाऊ मीडिया जैसे कई समानार्थी शब्दों से उपमा दी जाती है। ऐसे में जनता और व्यवस्था का मीडिया से विश्वास ही नहीं उठ जाएगा, बल्कि मीडिया की भूमिका भी बदल जाएगी। ये हाल बीकानेर, राजस्थान में ही नहीं है बल्कि देश दुनिया में बनते जा रहे हैं। मीडिया को हालातों से बचाने में ही लोकतंत्र और मानवता का हित निहित है।

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