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बीकानेर,रुक्टा ( राष्ट्रीय) ने राज्य के महाविद्यालयों में 1 मई से ग्रीष्मावकाश सम्बन्धी आदेश शीघ्र प्रसारित करने की मांग की है । संगठन के महामंत्री डॉ.सुशील कुमार बिस्सु ने उच्च शिक्षा मंत्री, राजस्थान सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि राजस्थान सेवा नियमो के अनुसार महाविद्यालयों में प्रतिवर्ष 2 माह (61 दिवस ) का ग्रीष्मावकाश रहता है जिसकी अवधि सामान्यतः 1 मई से 30 जून रहती है। इस हेतु हर वर्ष सत्र के प्रारंभ में ही आयुक्तालय अकादमिक कैलेंडर प्रकाशित करता है, जिसमें वर्षपर्यन्त की अकादमिक, सह- शैक्षणिक आदि गतिविधियों के साथ-साथ सत्र का अंतिम कार्य दिवस एवं ग्रीष्मावकाश की अवधि का उल्लेख कर दिया जाता है। ध्यातव्य है कि प्रतिवर्ष 30 अप्रेल को सत्र का अन्तिम कार्य दिवस होता है। तदनुसार सत्र 2021- 22 लगभग  समाप्ति की ओर है, किंतु अभी तक आयुक्तालय द्वारा सत्र के अंतिम कार्य दिवस एवं ग्रीष्मावकाश की घोषणा नहीं की गई है I इससे सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों में असमंजस की स्थिति है। 1 जुलाई, 2021 से उच्च शिक्षा में कार्यरत शिक्षक लगातार उपस्थित होकर अपने शैक्षणिक कार्य एवं अन्य दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं तथा महाविद्यालयों/ विश्वविद्यालयों में  सत्र 2021- 22  का शिक्षण कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है ।विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजन में इस वर्ष देरी होने के संकेत हैं। कोरोना समय को छोड़ दिया जाए तो वैसे भी ग्रीष्मावकाश में प्रतिवर्ष बहुत सी परीक्षाएं आयोजित होती हैं एवं प्रवेश कार्य भी संपन्न किए जाते हैं जिसके लिए रोके गए शिक्षकों को राजस्थान सेवा नियमों के अनुसार उपार्जित अवकाश देय होता है।

संगठन अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि ग्रीष्मावकाश के दौरान विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित होती हैं तो प्राचार्य राजस्थान सेवा नियमों के अनुरूप आवश्यकतानुसार शिक्षकों को परीक्षा कार्य में नियोजित कर सकते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले वर्षों में खोले गए नवीन महाविद्यालयों में परीक्षा केंद्र नहीं हैं, इनमें बड़ी संख्या में कार्यरत शिक्षकों को परीक्षा कार्य हेतु रोकने का कोई औचित्य नहीं है। उपर्युक्त तथ्यों के मद्देनजर राज्य सरकार से संगठन का आग्रह है कि राज्य के महाविद्यालयों में सत्र 2021-22 के अन्तिम कार्यदिवस तथा प्रतिवर्ष की भांति 1मई 2022 से 30 जून 2022 तक ग्रीष्मावकाश सम्बन्धी आदेश शीघ्र प्रसारित किये जाये।

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