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बीकानेर सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में अनिवार्य विषयों के व्याख्याता नहीं देने और दूसरी तरफतृतीय भाषा उर्दू के 10 विद्यार्थी होने पर उर्दू शिक्षक का पद देने की सरकार की घोषणा से शिक्षक संगठन नाराज है।

शिक्षक संगठनों का कहना है कि सरकार तृतीय भाषा और अनिवार्य विषयों को लेकर दोहरी नीति अपना रही है। एक तरफ उर्दू में 10 विद्यार्थी होने पर भी अतिरिक्त पद जबकि दूसरी तरफ अनिवार्य विषयों हिन्दी अंग्रेजी में 80 विद्यार्थी होने पर भी पद नहीं दिए जा रहे ।

सरकार द्वारा स्टाफिंग पैटर्न में अनिवार्य विषयों के लिए 800 विद्यार्थियों का नामांकन अनिवार्य होने के कठिन मापदण्ड होते हुए भी इन मानदंडों को पूरा करने वाले राज्य के करीब 4 हजार सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में भी अनिवार्य विषयों के व्याख्याताओं के पद सृजित नहीं किए जा रहे है। शिक्षक संगठन इन स्कूलों के साथ साथ हर सीनियर सैकेंडरी स्कूल में अनिवार्य विषय हिंदी तथा अंग्रेजी व्याख्याताओं के पद स्वीकृत करने की मांग काफी समय से कर रहे है लेकिन सरकार शिक्षक संगठनों की इस मांग पर कोई ध्यान नहीं दे रही। इसका परिणाम ये हो रहा है कि सीनियर कक्षा के विद्यार्थियों का हिंदी तथा अंग्रेजी ज्ञान सीमित होता जा रहा है। सीनियर का विद्यार्थी शुद्ध हिंदी तक नहीं लिख पा रहा यही हाल अंग्रेजी का है।

राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, राजस्थान एलिमेंट्री सैकेंडरी टीचर्स एसोसिएशन रेसटा, शिक्षक राष्ट्रीय सहित कई संगठनों की मांग है कि माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में करीब 12 लाख विद्यार्थियों के नामांकन बढ़े है लेकिन इसके बावजूद भी स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं होने के कारण पद नहीं बढ़ाए गए है।

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