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बीकानेर सर्किट हाउस में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत   साहब के जन सुनवाई कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता मार्शल प्रहलाद सिंह ने ज्ञापन सौंपा जिसमें जिला कलेक्ट्रेट स्थित भू अभिलेख रिकॉर्ड की विभिन्न शाखाओं में पड़े आजादी पूर्व के ऐतिहासिक, न्यायिक फैसले एवं भूअभिलेख,नगर निगम व नगर विकास न्यास की भू अभिलेख शाखाओं, राजस्व अभिलेखों इत्यादि का कंप्यूटरीकरण व डिजिटलाइजेशन कार्य करवाने की मांग की गई है। मार्शल ने बताया कि उपरोक्त सभी रिकार्ड शाखाओं में मुगलकालीन समय से लेकर वर्तमान तक के ऐतिहासिक एवं जनोपयोगी दस्तावेजों की दयनीय स्थिति को मदद नजर रखते हुए इन अभिलेखों का संरक्षण एवं एवं समुचित रखरखाव नहीं होने के कारण आमजन दर दर भटकने के लिए मजबूर हो रहे हैं।अभिलेखों के बेतरतीब होने से अथवा तो संरक्षण और रखरखाव न होने से अथवा कर्मचारियों के अभाव में लोगों को  रिकॉर्ड की प्रतिलिपि नहीं मिल पाती है।इतना ही नहीं इन रिकॉर्ड शाखाओं में प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं होने के कारण तथा व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण काफी महत्वपूर्ण रिकॉर्ड खुर्द बुर्ज भी किया जा चुका है या हो रहा है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के भरोसे चलने वाली इन रिकॉर्ड शाखाओं में आमजन  रिकॉर्ड खोजने का कार्य करते पाए गए हैं। जिसके कारण पुराने कागज या तो फट रहे हैं या नष्ट हो रहे हैं या जानबूझकर उन्हें फाड़ा जा रहा है। जिससे वास्तविक भू अभिलेख के मालिक  का रिकॉर्ड नहीं मिल पा रहा है। श्रीमान जी अगर उपरोक्त सभी शाखाओं के रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण व डिजिटलाइजेशन किया जाना संभव हो तो इससे बार-बार बस्तों  इत्यादि को खोले जाने की आवश्यकता नहीं रहेगी तथा ऑनलाइन व्यवस्था कर दिए जाने से भ्रष्टाचार भी नहीं होगा। कम्प्यूटरीकरण व डिजिटलाइजेशन होने के बाद राजस्थान राज्य अभिलेखागार की तर्ज पर प्रतिलिपि राशि तय कर दी जावे तो राज्य सरकार की आय भी बढ़ेगी। श्रीमान जी मेरा साथ में एक सुझाव यह भी है कि मुगलकालीन से लेकर 19 सौ 65 तक के दस्तावेज अथवा आजादी पूर्व के तक के कागजात यदि राजस्थान राज्य अभिलेखागार को समर्पित कर दिए जावे तो वहां उनका अच्छे तरीके से संरक्षण वह हो सकता है। साथ ही पुराने दस्तावेजो का एक ही स्थान पर ही भू व अन्य अभिलेख प्राप्त हो सकता है।  अभिलेख शाखाओं के अंदर अभिलेख /पुरालेख अधिकारी लगाए जाने की भी सख्त आवश्यकता है।श्रीमान जी आम जनता की परेशानी को मद्देनजर रखते हुए मुझे आशा ही नहीं विश्वास है कि इन अभिलेखों का संरक्षण व  रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए आप गम्भीरता से विचार कर निर्णय लेंगे।

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