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बीकानेर, बीकानेर के पश्चिमी सीमांत, विशेषकर बज्जू और उसके आसपास के दुर्गम रेतीले इलाकों के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज वर्चुअल रूप से लद्दाख से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 125 रणनीतिक महत्व की आधारभूत संरचना परियोजनाओं का उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पण किया। कुल 4,796 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इन परियोजनाओं में राजस्थान के दूरस्थ सीमांत क्षेत्रों के लिए कई महत्वपूर्ण सड़कें भी शामिल हैं, जो आने वाले वर्षों में बीकानेर संभाग की सामरिक, सामाजिक और आर्थिक दिशा को बदलने वाली हैं।
राजस्थान में बीआरओ की परियोजना चेतक ने कठिन रेगिस्तानी परिस्थितियों और दलदली भू-भाग जैसी चुनौतियों का सामना करते हुए अपने मूल मंत्र “चेतक का प्रयास, देश का विकास” को साकार किया है। प्रदेश में जिन सड़क परियोजनाओं का आज लोकार्पण और समर्पण हुआ, उनमें बज्जू क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बिरधवाल–पुग्गल–बज्जू (49.200 किमी.) सड़क भी शामिल है। इस सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग मानकों के अनुरूप उन्नत किया गया है, जिससे न केवल स्थानीय आमजन को आवागमन में राहत मिलेगी, बल्कि सामरिक दृष्टि से सेना की त्वरित तैनाती, लॉजिस्टिक सपोर्ट और परिचालन क्षमता को भी कई गुना मजबूती मिलेगी।
इसके साथ ही देवरसर–मऊवाली तलाई (8 किमी.), वकासर–मवासारी (32.5 किमी.) और पीठेवाला मोड़–एडी टोबा–लुंडेट (115 किमी.) जैसी सड़कें भी राष्ट्रीय राजमार्ग मानकों पर उन्नत कर सीमावर्ती क्षेत्रों को एक मजबूत सड़क नेटवर्क से जोड़ा गया है। इन सड़कों के निर्माण से बीकानेर, जैसलमेर, श्रीगंगानगर और गुजरात के बनासकांठा जिले में आपसी संपर्क, व्यापारिक गतिविधियाँ और सामाजिक गतिशीलता में नई ऊर्जा का संचार होगा।
विशेष रूप से वकासर–मवासारी सड़क, जिसे मुख्यालय 45 सीमा सड़क बल ने 303.59 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया है, राजस्थान–गुजरात के बीच अंतर-राज्यीय संपर्क का नया द्वार मानी जा रही है। यह सड़क दलदली और कठिन भू-भाग से होकर गुजरती है, जो बरसात के दिनों में लूनी नदी में जलस्तर बढ़ने पर अक्सर जलमग्न हो जाता है। इसके बावजूद बीआरओ ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इसे पूरा कर सेना के परिचालन लचीलेपन को सुनिश्चित किया है। यह सड़क स्थानीय रोजगार, परिवहन, कृषि और पारंपरिक व्यापार पर सकारात्मक प्रभाव डालेगी।
बज्जू और आसपास के क्षेत्रों में इन परियोजनाओं का प्रभाव बहु-आयामी होगा। एक ओर जहां सेना की त्वरित आवाजाही और सामरिक तैयारियों में अभूतपूर्व सुधार आएगा, वहीं दूसरी ओर सीमांत गाँवों को बेहतर सड़क संपर्क मिलने से उनके आर्थिक और सामाजिक जीवन में भी व्यापक परिवर्तन आएगा। खनिज, तेल और प्राकृतिक गैस की अपार क्षमता वाले इन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ने से नए निवेश और अवसरों के द्वार खुलेंगे।
इन परियोजनाओं के राष्ट्रीय समर्पण के अवसर पर बीकानेर रणबांकुरा डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल दीपक शिवरान तथा चेतक परियोजना बीकानेर के चीफ इंजीनियर सुरेश गुप्ता भी उपस्थित रहे। दोनों अधिकारियों ने बीआरओ के उत्कृष्ट प्रदर्शन, कठिन परिस्थितियों में तेज़ी से काम पूरा करने की क्षमता और सीमांत विकास को गति देने में इसकी भूमिका को सराहा।
इन आधारभूत संरचना परियोजनाओं ने यह सिद्ध कर दिया है कि सीमा सड़क संगठन न केवल रक्षा तैयारियों में बल्कि राष्ट्र के समग्र विकास में भी अहम भूमिका निभाता है। बीकानेर और बज्जू क्षेत्र के लिए ये परियोजनाएँ वास्तव में नई उम्मीद, नई रफ्तार और नए विकास की आधारशिला हैं।

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