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बीकानेर,एक पशु के रूप में ऊंट कई लोगों को रोजगार प्रदान करता है। यह राज्य की संस्कृति का अभिन्न अंग है रेगिस्तान का जहाज कहे जाने वाले ऊंट की संख्या में तेजी से आ रही गिरावट चिंता का विषय है। देश में ऊंटों की घटती तादाद से कृषि के साथ ही सुरक्षा पर संकट नजर आने लगा है। हालत यह है कि राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य जहां पर कृषि और सामान ढुलाई में सबसे ज्यादा काम आने वाले ऊंट अब कम हो रहे हैं, वहीं देश की सरहद की सुरक्षा में सीमा सुरक्षा बल के साथ कदमताल करने के लिए पर्याप्त ऊंट नहीं मिल रहे हैं। दरअसल राजस्थान में ऊंट केवल एक पशु नहीं, • बल्कि राज्य की परम्परा और संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। 2012 की पशुधन गणना के मुताबिक देश में करीब चार लाख ऊंट थे, जो 2019 की संगणना में 37 प्रतिशत घटकर 2 लाख 52 हजार रह गए। ऐसे ही राजस्थान में 2012 में 3, 25,713 ऊंट थे, जो 2019 में घटकर 2,12,739 रह गए। यानी राजस्थान में एक लाख से ज्यादा ऊंट कम हुए हैं। राजस्थान ही नहीं, गुजरात, हरियाणा व उत्तरप्रदेश में भी इनकी संख्या में कमी दर्ज की गई है। हालांकि राजस्थान सरकार ने ऊंटों की तेजी से कम होती संख्या को देखते हुए वर्ष 2014 में ऊंट को राज्य पशु घोषित किया। बाद में एक कानून बनाकर ऊंटों की तस्करी और ऊंट को मारने पर एक से पांच साल तक की सजा व जुर्माने का प्रावधान किया गया।

ऊंटों की संख्या में कमी के मुख्य कारणों में चारागाहों की कमी, प्रजनन दर में कमी, पशुपालकों की ऊंटपालन से विमुखता, चारे की अनुपलब्धता व महंगाई के साथ अवैध तस्करी और वध भी शामिल हैं। एक अन्य बड़ा कारण पर्यटन, परिवहन व खेती में इनका उपयोग कम होना है। ऊंटों की घटती संख्या से निपटने के लिए राज्य सरकार ने 2016 में चार साल के लिए ऊष्ट्र विकास योजना भी शुरू की, लेकिन सहायता राशि के भुगतान में “समस्याएं बनी रहीं। ऊंटों की संख्या में तेज गिरावट को देखते हुए लगने लगा है कि एक दिन भारत से ऊंट ही समाप्त हो जाएंगे। केवल ऊष्ट्र विकास योजना से ही ऊंटों की संख्या में कमी को रोक पाना संभव नहीं है। हमें समझना होगा कि एक पशु के रूप में ऊंट राजस्थान के कई लोगों को रोजगार प्रदान करता है। ऊंटनी का दूध कई रोगों के उपचार में काम आता है। सरकार को ऊंट को डेयरी पशु के रूप में विकसित करते हुए इसके लिए उन्नत चारागाहों की व्यवस्था करनी चाहिए, ऊंटों के प्रजनन संवर्धन के लिए तकनीक का सहारा लेना चाहिए। ऊंटों की बलि-हत्या व तस्करी पर रोक के लिए सुदृढ़ निगरानी तंत्र भी विकसित करना होगा।

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