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बीकानेर,स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविधालय के खजूर अनुसंधान केंद्र के खजूर फलों की तुडाई शुरू होने को है जिनकी शहर में बहुत मांग है। डॉ राजेंद्र सिंह राठौड़, प्रभारी खजूर अनुसंधान केंद्र ने बताया की हर साल कृषि विश्वविद्यालय द्वारा खजूर फलो की नीलामी की जाती है जो की इस बार 16 जून को प्रात 11.00 बजे विश्वविद्यालय के खजूर अनुसंधान केंद्र कार्यालय मे रखी गई है। नीलामी से सबंधित समस्त जानकारी, नियम व शर्ते विश्वविधालय की वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी गई है। खजूर फार्म पर वर्तमान मे 54 किस्मों पर अनुसंधान का कार्य चल रहा है जिसमें हलावी, बरही, खूनिजी, मेडजूल किस्म अधिक लोकप्रिय है। इनमे से हलावी किस्म जिसकी उत्पति इराक से हुई है,अपने सुनहरे पीले रंग व स्वाद की वजह से बीकानेर के लोगों मे भी लोकप्रिय है व इसके लिए शहर के लोग खजूर फार्म तक भी इसको खरीदने पहुँचते है। मेडजुल किस्म का उपयोग छुहारे बनाने मे किया जाता है। खूनिजी किस्म अपने मीठे व लाल रंग के फलो की वजह से लोकप्रिय है । बरही किस्म अपने फलो की मिठास व अधिक उपज के कारण किसानों मे लोकप्रिय है। खजूर के फलो परिपक्वता की चार अवस्थाएं होती है जिन्हे गंडोरा अवस्था, डोका अवस्था, डेंग अवस्था व पिंड अवस्था कहते है। बीकानेर मे सामान्यत डोका अवस्था मे खजूरो की तुड़ाई की जाती है। पिछले कुछ सालो से स्थानीय लोगो मे खजूर के फलो के प्रति आकर्षण बढाहै तथा जुलाई अगस्त माह मे इनकी खूब मांग रहती है ।

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