बीकानेर,केन्दीय मंत्री इस विश्व संस्थान के कुलाधिपति बने इस बात पर बहुत देर तक विचारने के बाद ये ख्याल आया कि इस निर्णय को लागू कर भारत सरकार ने अच्छा नही किया मेरा यह विरोध किसी पार्टी का नही
लेकिन जरा गौर कीजियेगा आने वाले समय पर जब ऐसे ही एक एक करके विश्वविद्यालयों में सक्रिय राजनेतिक व्यक्ति कुलाधिपती बनता जाएगा तो इस बेहतरीन शिक्षण संस्थाओं को राजनीति का अखाड़ा बनते देर नही लगेगी आज पढ़ा लिखा व्यक्ति कुलाधिपति बना है हर बार ऐसा हो संभव नही जब शिक्षा की बेहतरीन सोच वाला व्यक्ति कुलाधिपति नही होगा तब क्या होगा
बेहतरीन भविष्य के लिए तैयार होने वाले केंद्र अंधेरो की आगोश में होगे
आज तक राज्यपाल ही कुलाधिपति होते आये है वे भी किसी ना किसी विचारधारा से जुड़े होते है लेकिन वे अपने संवैधानिक दायरे में रहकर उसकी बेहतरी के लिए ही कार्य करते है लेकिन एक सक्रिय राजनेतिक व्यक्ति अपनी विचारधारा को विश्वविद्यालय पर थोपे नही संभव नही है
इस विषय पर सबके अपने अपने तर्क हो सकते है मेरा भी है लेकिन आग्रह मेरा सभी बुद्धिजीवियों से की एक बार शांत मन से इस निर्णय पर विचार करे और अगर सहमत हो इस बात से की कुलाधिपति राज्यपाल ही होना चाहिए तो अपनी आवाज को सरकार तक जरूर पहुंचाए
क्योकि अगर हम आज भी नही बोले तो हमारे बच्चे हमे कभी माफ नही करेंगे
आज केंद्र में भाजपा है कल कोई और होगी परसो कोई और इस तरह से सबके राजनेतिक व्यक्ति सकारात्मक हो सम्भव नही
इसलिए विश्वविद्यालयो को बचाये