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बीकानेर,संत भावनाथ आश्रम गौ शाला में गोपाष्टमी के अवसर पर गौ महोत्सव के दौरान महिलाओं ने गौशाला में मांगलिक रंगोली स्वास्तिक,त्रिशूल,अष्टदल,शंख व स्टार्स आदि गुलाल आदि से बनाए और उन्हें 1100 दीपों से सजाया। श्रीमती अलका गहलोत,शरीता राजपुरोहित व लक्ष्मी ओझा ने गायों का मेहंदी फूल माला आदि से श्रंगार किया। संत भावनाथ महाराज व रमक झमक के अध्यक्ष सस्कृतिविद प्रहलाद ओझा ‘भैरु’ ने गौ का हमारी परम्परा व सस्कृति में महत्व पर व्याख्यान दिया।भावनाथ महाराज ने कहा कि हमारे सस्कर बिना गौ के सम्भव नहीं है, गाय बचेगी तो संस्कार सस्कृति बचेगी। ओझा ने कहा कि आधुनिक युग भौतिक युग है,युवाओं को गाय का आधुनिक जीवन मे महत्व व आर्थिक तथा वैज्ञानिक महत्व अच्छे से समझाने की आवश्यकता है। पण्डित बद्री व शुरेश महाराज ने गौ माता की वैदिक रीति से पूजा करवाई। गौ सेवक केदार सारस्वत की उपस्थिति में गौ शाला की परिक्रमा की गई।संत भावनाथ महाराज ने परिक्रमा में परिक्रमा में संकीर्तन करवाया। केदार सारस्वत व किशन गहलोत ने गौ पालक के रूप में भावनाथ महाराज का माला पहनाकर व तिलक कर अभिनन्दन किया।

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