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बीकानेर। प्रदेश में बहुप्रतीक्षित राजनीतिक नियुक्तियों का काउंटडाउन शुरू हो चुका है प्रदेश स्तरीय बोर्ड निगमों और आयोगों में जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियां होने की चर्चा जोरों पर है राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की भी हरी झंडी मिल चुकी है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी जल्द ही राजनीतिक नियुक्तियों का तोहफा देने वाले हैं। हालांकि बड़ी बात यह है कि इस बार राजनीतिक नियुक्तियों में नए चेहरों को ही मौका दिए जाने की बात कही जा रही है। इसको लेकर बीकानेर के नेताओं ने भी जयपुर से दिल्ली तक दौड धूप शुरू कर दी है। नगर विकास अध्यक्ष व कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पद को लेकर भी सभी गुटों के नेता अपनी जोर अजमाईश कर रहे है। राजनीतिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिलाध्यक्ष पद पर जहां युवा नेता के तौर पर अनिल कल्ला व राजकुमार किराडू की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। वहीं कन्हैयालाल कल्ला व अरविन्द मिढ्ढा भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है। यहीं नहीं युवा व्यवसायी रवि पुरोहित,सुशील थिरानी का दावा भी कम नहीं आंका जा रहा है। उधर देहात जिलाध्यक्ष पद पर भी मंथन किया जा रहा है। इस पद पर प्रमुखता से शिवलाल गोदारा व बिशनाराम सियाग में जोर अजमाईश चल रही है। अब देखने वाली बात यह होगी कि आखिर शहर और देहात जिलाध्यक्ष पदों पर किसकी ताजपोशी होगी।
न्यास अध्यक्ष पर भी अनेक दावेदार,कौन पहनेगा ताज,चर्चाएं आम
नगर विकास न्यास के अध्यक्ष पद पर भी अनेक नामों पर मंथन चल रहा है। इसमें शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत के अलावा व्यवसायी प्रमोद खंजाची,रमेश अग्रवाल के साथ साथ साजिद सुलेमानी,इकबाल समेजा प्रमुखत दौड़ में शामिल है। हालांकि सीएम जिले के मंत्रियों के साथ चर्चा करने के बाद ही किसी एक नाम पर मोहर लगाएंगे। ऐसे में न्यास अध्यक्ष का ऊंट किस करवट बैठता है ये तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।
निगम में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति भी संभव
इन राजनीतिक नियुक्तियों में करीब दो वर्ष से लंबित नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति भी की जा सकती है। इसको लेकर महिला के रूप में चेतना चौधरी का नाम प्रमुख रूप से चल रहा है। तो शिवशंकर बिस्सा व आनंद सिंह सोढ़ा के नाम की चर्चा चल रही है।
विधायक और विधानसभा प्रत्याशी रह चुके नेताओं को भी नहीं मिलेगा मौका
पार्टी में उच्च स्तर पर चल रही चर्चाओं के मुताबिक राजनीतिक नियुक्तियों में इस बार 2018 का विधानसभा चुनाव और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव लड़ चुके नेताओं और कांग्रेस विधायकों को भी राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट नहीं किया जाएगा। सूत्रों की माने तो पार्टी में उच्च स्तर पर इसे लेकर मापदंड भी तय किए गए हैं कि जिन्हें विधानसभा, लोकसभा और पंचायतों और निकायों में टिकट मिल चुके हैं उन्हें भी राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट नहीं किया जाए।
बोर्ड-निगमों, आयोगों में चेयरमैन रह चुके नेताओं को भी नहीं मिलेगा मौका
वहीं बताया यह भी जाता है कि गहलोत सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में बोर्ड निगमों और आयोगों के चेयरमैन रह चुके नेताओं को भी गहलोत सरकार के तीसरे कार्यकाल में राजनीतिक नियुक्तियों में मौका नहीं मिलेगा। उनके स्थान पर पार्टी नए चेहरों को मौका देगी। चर्चा यह भी है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपनी कार्यप्रणाली के मुताबिक जिन नेताओं को एक बार राजनीतिक नियुक्तियां दे चुके हैं, उन्हें दोबारा राजनीतिक नियुक्तियां नहीं देते हैं।
विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट नहीं करने की एक वजह यह भी
सूत्रों के मुताबिक बीते साल गहलोत सरकार पर सियासी संकट के दौरान सरकार का साथ देने वाले निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट करने की बात क ही जा रही थी, लेकिन बदली रणनीति व कांग्रेस नेताओं की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए अब विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट नहीं करने किया जाएगा।
इन बोर्ड निगमों में होनी है राजनीति नियुक्तियां
दरअसल जिन बोर्ड निगम और आयोगों में राजनीतिक नियुक्तियां होनी हैं उनमें महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, निशक्तजन आयोग, एससी-एसटी आयोग, ओबीसी आयोग, समाज कल्याण बोर्ड, मदरसा बोर्ड, हज कमेटी अल्पसंख्यक वित्त निगम, वक्फ बोर्ड, देवस्थान बोर्ड, हाउसिंग बोर्ड, किसान आयोग, गौसेवा आयोग, बीज निगम, राजस्थान पर्यटन विकास निगम, अभाव अभियोग निराकरण समिति, माटी कला बोर्ड, केशकला बोर्ड, घुमंतु अर्ध घुमंतु बोर्ड, वक्फ विकास परिषद, मेवात विकास बोर्ड, डांग विकास बोर्ड, खादी बोर्ड, बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति, नगर विकास न्यास (यू आईटी), हिंदी ग्रंथ अकादमी, उर्दू अकादमी, सिंधी अकादमी हैं।

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