
श्रीगंगानगर। कॉटन मिलों की मांग निकलने से पिछले कुछ समय में कॉटन के भावों में तेजी आई है। आलम यह है कि यह पिछले कई वर्ष में सबसे ऊंचे दाम तक पहुंच गया है। आम तौर पर श्रीगंगानगर मंडी में कॉटन साढ़े छह से साढ़े सात हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बिकता रहा है। ऐसे में इस बार अचानक इसके भाव दस हजार तक पहुंचने से जहां किसानों में खुशी है। वहीं व्यापारी अब भी आशंकित है। उनका कहना है कि इस बार भाव इंटरनेशनल मार्केट से भी ज्यादा हो गए हैं। ऐसे में विदेशों में मांग ज्यादा नहीं है। इसके बावजूद इलाके में अचानक भावों का बढ़ना आशंका पैदा करना है।
श्रीगंगानगर में भाव 10 हजार 500
इलाके में भाव की बात करें तो श्रीगंगानगर में शनिवार को भाव 9700 रुपए प्रति क्विंटल से 10 हजार 500 रुपए प्रति क्विंटल बिके हैं। असल में कॉटन के इतने ऊंचे दाम कभी नहीं रहे। किसानों में तो इससे खुशी है लेकिन व्यापारी अब भी स्टॉक करने से बच रहे हैं। उन्हें आशंका है कि कहीं यह तेजी दिखावटी नहीं हो। सट्टे के सौदे इसका बड़ा कारण हो सकता है। जिस तेजी से भाव बढ़े हैं उसी तेजी से इसमें कमी भी आ सकती है।
कम प्रोडक्शन का अनुमान
कॉटन ब्रोकर नवरतन ओझा बताते हैं कि इस बार कम प्रोडक्शन भाव में तेजी का बड़ा कारण बना है। वे बताते हैं कि इस वर्ष देश में तीन करोड़ तीस लाख गांठ प्रोडक्शन का अनुमान था लेकिन इसमें काफी कम प्रोडक्शन आने की संभावना जताई जा रही है। इसके चलते भावों में तेजी आई है।
मिलों में मांग ज्यादा
कॉटन बिजनेस से जुड़े कमलकांत कोचर बताते हैं कि इस बार प्रोडक्शन अपेक्षाकृत कम है और मिलों में मांग ज्यादा है। ऐसे में इस बार भाव बढ़ने का यह एक कारण हाे सकता है। व्यापारी दिनेश सिंगल का कहना है कि मांग बढ़ने और प्रोडक्शन की कमी ने भाव बढ़ाए हैं।
भाव तो बढ़े लेकिन स्टॉक में रिस्क
दी गंगानगर ट्रेडर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजय महिपाल बताते हैं कि कॉटन के भाव बढ़ने का कारण पूरे देश में ही कम प्रोडक्शन है। इसके अलावा पहले जो स्टॉक व्यापारियो के पास था वह भी उन्होंने बेच दिया। ऐसे में ये दाे बड़े कारण है जिससे ये तेजी आई है, लेकिन इसमें बड़ा रिस्क है। जिस तेजी से भाव बढ़े हैं यदि गिरावट आई तो नुकसान भी होगा। ऐसे इन दिनों में भाव में तेजी के बावजूद व्यापारी स्टॉक नहीं कर रहे।