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बीकानेर,राज्य में पहली और दूसरी लहर के दौरान कोविड या कोविड से जुड़े कारणों के चलते ऐसे कई लोगों की मौत हुई है, जिनकी मृत्यु के समय कोविड रिपोर्ट नेगटिव थी। सरकार अब इन मृतकों के परिजन को कोविड मृतकों की तरह मुआवजा देने को तैयार नहीं है। इस बीच कोरोना से हुई मौत पर 50 हजार का मुआवजा देने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, महाराष्ट्र, केरल समेत कई राज्यों को फटकार लगाई है। साथ ही दिल्ली, कर्नाटक व छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर मुआवजे का ब्योरा भी मांगा है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान डेढ़ साल की अवधि में पंजीकृत मौतें करीब 33 हजार बढ़ीं। इसके बावजूद राज्य सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार मुआवजे के हकदार मात्र 8,960 के परिजन ही माने गए हैं। दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में कोविड से जुड़े कारणों से मौतें सामने आने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर चिकित्सा विभाग ने ऐसी मौतों के आंकड़े जुटाने के लिए कमेटियों का गठन किया था। पर इन्होंने भी सरकार के पास दर्ज कोविड मृतकों के अलावा अन्य किसी मृतक की रिपोर्ट नहीं दी है।

चिकित्सा विभाग के आंकड़े बताते हैं कि कोरोनाकाल में डेढ़ साल की अवधि में बढ़ी हुई मौतों का आंकड़ा करीब 32 हजार से अधिक रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोविड के कारण मार्च 2020 से मार्च 2021 तक 2,818 मौत हुई थीं, जबकि अप्रेल-मई 2021 में कोविड के कारण कुल 5,093 मृत्यु हुई। शेष मौतें इसके बाद हुई हैं। पिछले एक महीने में भी प्रदेश में छह मौत हो चुकी हैं। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में कोरोना से 8,955 मौतें दर्ज की गई। इनमें से 8,577 के परिजन को मुआवजा दिया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा- ‘कौन विश्वास करेगा कि पूरे राजस्थान में सिर्फ 8,955 मौत हुईं। आप हमें यह भी नहीं बता सकते कि कितने आवेदन मिले। इसका मतलब है कि आप किसी चीज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।’ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद अब राज्य सरकार को कोरोना से जुड़े कारणों से मरने वालों के परिजन को मुआवजा देने की सकारात्मक पहल करनी चाहिए। विशेषज्ञ भी पुष्टि कर चुके हैं कि कोविड होने के बाद नेगटिव रिपोर्ट के बावजूद कोरोना से जुड़े कारणों के कारण होने वाली मौतें भी मुआवजे के दायरे में मानी जानी चाहिए। सरकार को इस मुद्दे पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करना चाहिए।

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