Trending Now












बीकानेर,राजस्थान में एक बार फिर से संविदा कर्मियों ने सरकार द्वारा किए गए वादाखिलाफी के खिलाफ आंदोलन का आगाज कर दिया है 10 अप्रैल 2023 को राजस्थान के विभिन्न संभागों में लगभग 100000 संविदा कर्मचारियों द्वारा रेली कर सरकार के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करके वर्षों से लंबित नियमितीकरण की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया। संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा , राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र चौधरी ने बताया कि राजस्थान में वर्ष 2018 में कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया था इस पर संविदा कर्मियों ने सूबे में कांग्रेस पार्टी को खूब वोट दिये वह दिलवाए और राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाने में योगदान दिया। गहलोत सरकार बनने के 1 वर्ष बाद श्री बी डी कल्ला की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई किंतु 4 साल तक यह कमेटी कोई रिपोर्ट संविदा कर्मियों के पक्ष में प्रस्तुत नहीं कर सकी तथा कमेटी कमेटी का खेल चलता रहा। इस दौरान संविदा कर्मियों ने समय-समय पर खूब आंदोलन किए, प्रदर्शन किए,रैली निकाली लेकिन सरकार तक टस से मस नहीं हुई। सरकार की इस वादाखिलाफी के शोक में कई संविदा कर्मियों ने आत्महत्या जैसे कदम भी उठाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली और बहुत से संविदा कार्मिक आकस्मिक वज्रपात के शिकार हो गए उन संविदा कर्मियों के इस दुनिया से चले जाने के बाद उनके परिवार की दुर्दशा इतनी गंभीर हुई है कि उन्हें दो टाइम की रोटी भी नसीब नहीं हो रही है क्योंकि संविदा कर्मियों के लिए अनुकंपा नियुक्ति या मरने के बाद नियमित कर्मचारी वाली कोई भी सुविधा सरकार के द्वारा उपलब्ध नहीं करवाई जाती है। संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा, राजस्थान के महासचिव रामस्वरूप टॉक ने बताया कि राजस्थान सरकार ने “राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स 2022″लागू किया जिसमें संविदा कर्मियों को संविदा पर ही मानकर पुरानी सेवा शून्य कर कुछ उठापटक करके अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन दिलवा कर श्री राहुल गांधी से सोशल मीडिया पर पोस्ट दिलवाकर अपना उल्लू सीधा कर लिया।इस नियम में संविदा कर्मियों को नियमित कर्मचारी की कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई ना ही कोई मानदेय में बढ़ोतरी हुई और ना ही कर्मचारी नियमित हुए
गहलोत सरकार ने बजट घोषणा 2023-24 मे संविदा कर्मियों के लिए पूर्व के अनुभव को अकाउंट करने हेतु “अन्य सेवा से आईएएस चयन के समय की जाने वाली सेवा अवधि की गणना की तर्ज” पर नियम बनाने की घोषणा की है। इस संबंध में राजस्थान सरकार के अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि आईएएस पैटर्न के आधार पर इन नियमों में 3 वर्ष का 1 वर्ष अर्थात 15 वर्ष के 5 वर्ष से माने जाने हेतु अभिशंषा की जाती है। इस आधार पर राज्य में 110000 संविदा कर्मियों में से 90% कर्मचारी नियमितीकरण की दौड़ से बाहर हो गए हैं जो वादा राज्य सरकार ने संविदा कर्मियों के लिए किया था वह इन नियमों के फेर में धूमिल होता नजर आ रहा है
संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा, राजस्थान के उपाध्यक्ष अनवर खान ने बताया कि राजस्थान के अलावा पंजाब और उड़ीसा राज्य में भी ऐसे नियम बने थे किंतु उन राज्यों में संविदा कर्मियों का वास्तविक अनुभव माना गया था और नियमितीकरण भी किया गया है । हाल ही में उड़ीसा सरकार द्वारा 3 मार्च 2022 तथा 16 अक्टूबर 2022 को जारी नोटिफिकेशन द्वारा 57000 संविदा कर्मियों को और पंजाब राज्य विधानसभा में बिल नंबर 38 पीएलए 2021 द्वारा लगभग 25000 संविदा कर्मियों का वास्तविक अनुभव मान कर नियमितीकरण का लाभ दिया गया है ना कि आईएएस पैटर्न के आधार पर माना गया है। अगर वास्तविक रूप से देखा जाए तो सरकार द्वारा संविदा कर्मियों का वास्तविक अनुभव नहीं मानकर आईएएस पैटर्न की तर्ज पर अनुभव की गणना करती हैं लगभग 90% संविदा कार्मिक नियमितीकरण से वंचित हो जाएंगे उन्हें ना तो कोई मानदेय वृद्धि मिलेगी और ना ही कोई नियमित कर्मचारी वाली सुविधा मिलेगी।
संविदा कर्मियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार अपने जन घोषणा पत्र के अनुसार समस्त संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा पूरा करें अगर सरकार वादा पूरा नहीं करती है तो सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा और आगामी विधानसभा चुनाव में भी संविदा कर्मियों पर किए गए कुठाराघात और धोखे का जवाब वोट की चोट से दिया जाएगा। और नियमितीकरण को लेकर आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
संयुक्त संविदा मुक्ति मोर्चा, राजस्थान के महासचिव प्रेम शर्मा ने बताया की माननीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी से मिलने पर उनकी तरफ से सकारात्मक जवाब दिया जाता है कि आपका नियमितीकरण अवश्य होगा अगर आप का नियमितीकरण मैं नहीं करूंगा तो कोई नहीं करेगा लेकिन रिजल्ट ढाक के तीन पात मतलब कार्मिक विभाग और फाइनेंस विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा अनावश्यक और अनर्गल नियमों के बीच में फंसा कर राज्य सरकार को मुद्दे से भटकाया जा रहा है। अगर राज्य सरकार इसी तरह ब्यूरोक्रेसी के जंजाल में फंसी रहेगी तो संविदा कर्मी सरकार से बेरुखी कर विधानसभा चुनाव में उनसे किए गए वादाखिलाफी के लिए जवाब देने को मजबूर होंगे। और अगर राज्य सरकार अपने किए वादे अनुसार समस्त संविदा कर्मियों को नियमित करती है तो 110000 संविदा कार्मिक कांग्रेस कार्यकर्ता बनकर पुनः कांग्रेस सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

Author