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बीकानेर,कर्नाटक और उससे पहले हिमाचल प्रदेश में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कर्नाटक फॉर्मूले को लागू करने जा रही है.

चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन और उनके नामों का ऐलान कांग्रेस इसी आधार पर करेगी. पार्टी ऐसे करीब 50 मंत्री-विधायकों की टिकट काट सकती है, जिनके बारे में सर्वे और फीडबैक लगातार निगेटिव आ रहे हैं. इसके साथ ही 90 कमजोर सीटों के लिए कांग्रेस का फोकस नए और चर्चित चेहरों, सेलिब्रिटीज,खिलाड़ियों पर रहेगा.

ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस इस बार बड़े पैमाने पर विधायकों के टिकट काटकर नए लोगों को मौका देगी. इसके लिए प्रत्येक विधानसभा में कई स्तरों पर सर्वे-फीडबैक का काम जारी है. इसी के आधार पर टिकटों का फैसला होगा. इसके जरिये चुनावों में फ्रेश चेहरों को मौका देना है.

सर्वे-फीडबैक पॉजिटिव तो विधायकों का टिकट ‘पक्का’

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र संकेत देते हैं कि राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने टिकट वितरण के एक शुरुआती फॉर्मूले पर मंथन किया है. सीएम गहलोत, प्रभारी रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा समेत कुछ वरिष्ठ नेताओं ने विचार-विमर्श किया कि तीन या चार चरणों में प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी. पहले चरण में उन सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित होंगे, जहां सर्वे में प्रत्याशी की लोकप्रियता का ग्राफ दूसरों के मुकाबले काफी ऊंचा है. विधायक के कामकाज और छवि को भी पॉजिटिव फीडबैक मिला है. साथ ही प्रत्याशी के नाम को लेकर भी कोई बड़ा विरोध नहीं है. इनमें करीब 35-40 विधायकों के नाम हैं. इसके अलावा पहली सूची में कद्दावर नेताओं को भी शामिल किया जाएगा.

कर्नाटक की तरह जल्द जारी होगी प्रत्याशियों की सूची

राजस्थान में चुनाव प्रचार और वोटर्स से संपर्क की खातिर प्रत्याशियों को अधिक समय देने के लिए कांग्रेस ने पहले से ही टिकट घोषित करने का भी फॉर्मूला बनाया है. कर्नाटक में भी यही फॉर्मूला लागू किया गया था. निर्वाचन आयोग ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की घोषणा 29 मार्च को की थी. इससे पहले 25 मार्च को कांग्रेस ने 124 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी थी. इसमें पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक जैसे दिग्गजों के नाम भी शामिल थे. हिमाचल प्रदेश में पिछले साल 15 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई थी. यहां भी 18 अक्टूबर को कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी कर दी थी.

सर्वे-फीडबैक और एंटी इंकम्बेंसी फेक्टर भी बनेगा आधार

पार्टी प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा कह चुके हैं कि इस बार उम्मीदवारों के नाम पार्टी की ओर से कराए गए सर्वे, फीडबैक के अलावा जनता और कार्यकर्ताओं की ओर से जिसका नाम आएगा, उसे टिकट मिलेगा. अप्रैल में वन टू वन संवाद में रंधावा कांग्रेस विधायकों को आईना दिखा चुके हैं. उन्होंने साफ कहा कि कई विधायक टिकट के लिए बॉर्डर लाइन पर ही खड़े हैं. ऐसे में वो शेष बचे समय में क्षेत्र में तेजी से विकास कार्य कराकर अपने अनुकूल माहौल बनाएं. वरना उन्हें टिकट मिलना मुश्किल होगा. इसलिए दूसरी सूची में ऐसे विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रत्याशी घोषित होंगे, जहां एंटी इंकम्बेंसी फेक्टर काफी कम है. इस सूची में दूसरे दलों से आए नेताओं के अलावा 2018 में चुनाव हार गए कांग्रेस के बड़े नेताओं के नाम भी आ सकते हैं, ताकि उन्हें प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिल जाए.

41 सीटों पर लगातार दो विधानसभा चुनाव हारी है कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी की कशमकश उन कमजोर सीटों के लिए ज्यादा है, जहां उसके पिछले कुछ चुनावों में जीत नसीब नहीं हो रही है. पार्टी प्रदेश की 200 में से 90 सीटों पर खुद को कमजोर मान रही है. इनमें करीब 50 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस लगातार तीन विधानसभा चुनाव हारती आ रही है. इसके साथ ही 41 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस 2013 और 2018 में तो विधानसभा चुनाव हारी, लेकिन 2008 में उसे जीत मिली थी. बीजेपी और अन्य ने उससे यह सीटें छीन लीं. इन सीटों पर कांग्रेस का फोकस नए और चर्चित चेहरों, सेलिब्रिटीज, खिलाड़ियों पर रहेगा.ताकि बदलाव और ग्लैमर के तड़के से पार्टी इन सीटों पर सेंध लगा सके. इनकी सूची भी काफी मंथन के बाद जारी होगी

एक दशक पहले सत्ता में रहते 21 पर सिमटी कांग्रेस

कांग्रेस एक दशक के बाद सत्ता में रहते हुए चुनावी मैदान में उतरेगी. इससे पहले 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए लड़ा था. लेकिन एंटी इंकम्बेंसी और मोदी फेक्टर के चलते कांग्रेस को शर्मनाक हार झेलनी पड़ी थी. सरकार में मंत्री रहे ज्यादातर नेताओं को फिर से टिकट मिला, लेकिन गहलोत मंत्रिमंडल का हिस्सा रहे 31 नेता अपनी सीट नहीं बचा पाए. तब कांग्रेस 21 सीटों पर ही सिमट गई थी. हारने वाले बड़े नेताओं में शांति धारीवाल, भंवरलाल मेघवाल, ब्रजकिशोर शर्मा, परसादीलाल, डॉ. जितेंद्र सिंह, राजेंद्र पारीक, दुर्रु मियां, भरतसिंह, बीना काक, हेमाराम और हरजीराम बुरड़क जैसे नाम शामिल थे.

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