बीकानेर,राजस्थान में अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कमर कस ली है. चुनावों से पहले जहां बीजेपी सरकार में वापसी का दावा कर रही है वहीं कांग्रेस राजस्थान का सालों पुराना ट्रेंड तोड़कर सरकार रिपीट करना चाहती है.वहीं कांग्रेस आलाकमान राजस्थानमें सत्ता वापसी को लेकर सख्त नजर आ रहा है जिसके बाद माना जा रहा है कि चुनावों से पहले कुछ मंत्रियों और विधायकों की रिपोर्ट कार्ड के हिसाब से उनका टिकट भी कट सकता है. कांग्रेस की ओर से एंटी इंकबेंसी पर लगाम लगाने के लिए कुछ विधायकों और मंत्रियों की सीट बदली भी जा सकती है.
माना जा रहा है कि आधा दर्जन मंत्रियों और करीब एक दर्जन कांग्रेस विधायकों पर गाज गिर सकती है. वहीं कांग्रेस संगठन की ओर से राज्य में सत्ता विरोधी लहर से बचने और जीत का फार्मूला तय किया जा रहा है. वहीं टिकट कटौती में गहलोत और पायलट गुट दोनों के नेता शामिल हो सकते हैं हालांकि नामों को लेकर फिलहाल तस्वीर साफ नहीं हुई है.
राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही है कि पायलट गुट के मंत्री विश्वेंद्र सिंह, मुरारी लाल मीणा और रमेश मीणा का टिकट कांग्रेस के सत्ता वापसी के मिशन में फंस सकता है. वहीं बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए मंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी एंटी इंकमबेंसी का डर देखते हुए अपनी टिकट पर खतरा बता चुके हैं.
मंत्रियों को है सुरक्षित सीट की तलाश
मीडिय़ा रिपोर्ट के हवाले से बताया जा रहा है कि पायलट गुट के मंत्रियों के अलावा कई अशोक गहलोत गुट के नेता भी सीटों को बदल सकते हैं जिनमें लालचंद कटारिया, महेश जोशी और रघु शर्मा भी सीट बदल सकते हैं. कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि वह झोटवाड़ा की जगह आने वाला चुनाव आमेर से लड़ सकते हैं.
वहीं जलदाय मंत्री महेश जोशी किशनपोल विधानसभा सीट से चुनावी रणभेरी बजा सकते हैं. इसके अलावा राजस्थान के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा अपनी पुरानी सीट केकड़ी को बदल सकते हैं.
वहीं विधायकों की बात करें तो गहलोत गुट के विधायक अमीन कागजी किशनपोल विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं लेकिन टिकट मिलने पर समीकरण तय होंगे. इधर पायलट गुट के विधायक हरीश मीणा सवाईमाधोपुर की बामनवास विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. वहीं मंत्री मुरारी लाल मीणा इस बार महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
कांग्रेस करना चाहती है सरकार रिपीट
गौरतलब है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट कई मौकों पर कह चुके हैं कि राजस्थान में हमारा फोकस सरकार रिपीट करने पर है. वहीं माना जा रहा है कि पार्टी के सामने सरकार रिपीट करना सबसे बड़ी चुनौती है. वहीं इस बार सत्ता विरोधी लहर से बचने के लिए कांग्रेस कई नए चेहरों को भी मौका दे सकती है. मालूम हो कि 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने एक दर्जन सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया था हालांकि कई चेहरे चुनाव हार भी गए थे.