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बीकानेर,कांग्रेस का नेतृत्व की कमी से पतन हो गया है। पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस जो हश्र हुआ है इससे कांग्रेस रसातल में पहुंच गई है। फिर भी कांग्रेस के अयोग्य नेतृत्व में पार्टी को उबारने का विजन ही नहीं है। इसका अर्थ यह कतई नहीं है कि कांग्रेस खत्म हो गई है। राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की विचारधारा प्रबल रूप से जीवंत है। सक्षम नेतृत्व पाकर कांग्रेस फिर जिंदा हो सकेगी। कांग्रेस के अस्तित्व के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का ग्रुप 23 कांग्रेस जिंदा होने का प्रमाण है। केंद्रीय कांग्रेस कमेटी (सी डब्ल्यू सी) के बाहर की कांग्रेस का फंडा, गांधी परिवार की ही नहीं सब की कांग्रेस का नारा कांग्रेस विचारधारा को राष्ट्रीय राजनीति में पुख्ता करते हैं। सत्ता, नेता और राजनीतिक दलों का समय चक्र के साथ उत्थान और पतन होता रहता है। राष्ट्रीय राजनीति में कई पार्टियां बनी और अस्त हो गई। कई नेता उभरे और लोप हो गए। भाजपा अभी राष्ट्रीय राजनीतिक की सिरमौर बनी हुई है। देश की जनता ने पार्टी और नेताओं को सिर आंखों पर बिठा रखा है। मोदी सरकार की नीति और कार्यों की जनता प्रशंसा करती नहीं थकती है। इसका अर्थ यह नहीं है कि बाकी सब नहीं रहेंगे। कांग्रेस का पहिया निचले बिंदु पर है। कांग्रेस का राष्ट्रीय राजनीति में फिर से उबरने का सिलसिला राजस्थान से शुरू हो सकता है। यहाँ प्रदेश कांग्रेस का संगठन मजबूत और सक्रिय है। अशोक गहलोत ने सक्षम नेतृत्व करने का सबूत दिया है। राष्ट्रीय कांग्रेस में गहलोत की पकड़ है। हालांकि कांग्रेस में गांधी परिवारवाद के वे पोषक है। इसी के चलते वे कांग्रेस को गांधी परिवारवाद से बाहर निकालने के हिमायती नेताओं के वे टारगेट बने हुए हैं। कुछ भी हो निकट भविष्य में कांग्रेस को अगर कहीं से संबल मिल सकता है तो राजस्थान से ही मिलेगा। कांग्रेस के राजस्थान में प्रस्तावित चिंतन शिविर से कांग्रेस उबर सकती है अन्यथा लम्बा इंतजार करना पड़ेगा।

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