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बीकानेर,कांग्रेस ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की नई टीम का ऐलान कर दिया गया है.पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आखिरकार राजस्थान गतिरोध को खत्म करने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने सचिन पायलट को CWC में शामिल कर राजस्थान में ऑल इज वेल का संदेश दे दिया है.

चूंकि राजस्थान में अगले कुछ महीने बाद (नवंबर-दिसंबर 2023) विधानसभा चुनाव हैं. उसके बाद सचिन का AICC महासचिव बनना तय है.

पार्टी की कोशिश है कि चुनावी राज्य राजस्थान में शानदार वापसी की जाए और चुनावी विश्लेषकों को चौंका दिया जाए. हालांकि, ऐसा होता है तो सचिन एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हटाकर खुद को सीएम बनाने की लामबंदी कर सकते हैं.

‘खड़गे ने मनाया और पायलट को दी जिम्मेदारी’

पिछले कई हफ्तों और महीनों से खड़गे राजस्थान में टकराव खत्म करने और शांति स्थापित करने के लिए जूझ रहे थे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने धुर विरोधी (पायलट) को प्रदेश अध्यक्ष या उप मुख्यमंत्री बनाए जाने के लिए तैयार नहीं थे. वहीं, खड़गे की योजना में सचिन को एक ऐसी संपत्ति के रूप में देखा जा रहा है, जिसकी उपयोगिता राजस्थान से बाहर तक फैली हुई है. जबकि सचिन कथित तौर पर गृह राज्य (राजस्थान) में एक बड़ी भूमिका चाहते थे. ऐसे में खड़गे लगभग एक अभिभावनक की तरह आगे आए और उनसे (पायलट) राजस्थान के बाहर एक भूमिका पर विचार करने का आग्रह किया.

‘G-23 गुट के नेताओं को भी मिली तरजीह’

नवगठित सीडब्ल्यूसी के जरिए कांग्रेस ने जी-23 फैक्टर को भी सफलतापूर्वक दफन कर दिया है. खड़गे ने चतुराई से शशि थरूर, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक, वीरप्पा मोइली, मनीष तिवारी (मोइली और तिवारी को स्थायी आमंत्रित सदस्य बना दिया गया है) और अन्य उन नेताओं को भी जगह है, जिन्होंने तत्कालीन AICC की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजा था. उस पत्र में पार्टी नेतृत्व के संचालन पर सवाल उठाया गया था. इस घटनाक्रम के बाद जी-23 के कई प्रमुख नेताओं में गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने पार्टी छोड़ दी थी.

थरूर को शामिल करके दिया संदेश’

जबकि पिछले साल थरूर ने एआईसीसी अध्यक्ष पद के लिए खड़गे के खिलाफ चुनाव लड़ा था. अब सीडब्ल्यूसी की नई टीम में थरूर को शामिल करके खड़गे ने एक स्वस्थ पार्टी संस्कृति का संकेत दिया है. खड़गे ने एक संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी में असहमति को दबाया नहीं जाता है.

‘पार्टी में हर वर्ग को साधने की कोशिश’

84 सदस्यीय जंबो बॉडी में 39 सीडब्ल्यूसी सदस्य हैं (संशोधित कांग्रेस पार्टी संविधान के अनुसार, सीडब्ल्यूसी में 36 नामांकित नेता शामिल होते हैं, जिनमें निर्वाचित और मनोनीत दोनों श्रेणी के सदस्य और पूर्व पार्टी प्रमुख और कांग्रेस प्राइम मिनिस्टर्स को रखा जाता है. इस सूची में सोनिया, राहुल गांधी और डॉ मनमोहन सिंह का नाम है). खड़गे ने 18 पार्टी नेताओं को स्थायी आमंत्रित सदस्यों, विभिन्न राज्यों, विभागों और पार्टी कार्यों के 14 प्रभारियों, 9 विशेष आमंत्रित सदस्यों और 4 पूर्व-कार्यालय सदस्यों यानी एनएसयूआई, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस और कांग्रेस सेवा दल प्रमुखों के रूप में समायोजित किया है.

इन दिग्गजों को CWC की सूची में नहीं मिली जगह’

राजनीतिक रूप से वास्तविक एकमात्र अंतर यह है कि 39 सीडब्ल्यूसी सदस्य और बाकी को उनके विशिष्ट दायित्व से हटा दिए जाने के बाद वे एपेक्स बॉडी के सदस्य नहीं रहेंगे. वहीं, पार्टी में हरीश रावत, पवन बंसल, मोहन प्रकाश, दीपेंद्र सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी, तारिक हमीद कर्रा जैसे नेताओं को दिग्गज माना जाता है. इन नेताओं को स्थायी आमंत्रित सदस्यों की सूची में रखा गया है. यह नेता सीडब्ल्यूसी के पूर्ण सदस्य बनने के दावेदार माने जा रहे थे.

पुरानों को तवज्जो, नए चेहरों को भी मौका’

कहा जा सकता है कि नई टीम में खड़गे ने पार्टी के पुराने नेताओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है, जिसमें पार्टी के पुराने नेताओं दिग्विजय सिंह, पी चिदंबरम, एके एंटनी, जयराम रमेश, सलमान खुर्शीद, अंबिका सोनी, मीरा कुमार, तारिक अनवर आदि को बनाए रखने और सचिन पायलट, ताम्रध्वज साहू, चरणजीत सिंह चन्नी, रघुवीरा रेड्डी, अभिषेक मनु सिंघवी, कामेश्वर पटेल, सैयद नसीर हुसैन, गौरव गोगई, एम एस मालवीय और जगदीश ठाकोर जैसे नए चेहरों को लाकर संतुलन बनाने की कोशिश की है.

‘राहुल के करीबियों को भी मिली जगह’

सूची में राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले प्रवीण चक्रवर्ती का नाम गायब है. चक्रवर्ती वर्तमान में एआईसीसी के डेटा एनालिटिक्स विभाग के प्रमुख हैं. हालांकि, राहुल के करीबी माने जाने वाले कई पार्टी नेताओं जीतेंद्र सिंह, रणदीप सिंह सुरजेवाला, केसी वेणुगोपाल, राजीव शुक्ला, सचिन राव, के राजू, डॉ. अजॉय कुमार को जिम्मेदारी दी गई है. इनमें से कुछ लोग पहले से ही पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर हैं.

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