बीकानेर,राजस्थान कांग्रेस में नेताओं के बीच बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे की आपसी खींचतान अब एक नए रूप में दिखाई दे रही है. वहीं सूबे में चुनावों से महज 13 महीने पहले पायलट को कमान सौंपने की मांग जोर पकड़ रही है.जहां अशोक गहलोतलगातार सरकार रिपीट करने का दावा कर रहे हैं लेकिन अब कांग्रेस विधायकों ने इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए हैं. राजस्थान में कांग्रेस की लड़ाई अब सत्ता का विकेंद्रीकरण, मुख्यमंत्री की ताकत जैसे मसलों के आसपास लड़ी जा रही है जहां अपने विधायकों के निशाने पर सीधे अशोक गहलोत हैं. ताजा मामला मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के बयान से शुरू हुआ जिन्होंने हाल में कहा कि अगर समय रहते सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो सरकार रिपीट नहीं हो सकती है और एक फॉर्चूनर में बैठने के बराबर राजस्थान में कांग्रेस के विधायक आएंगे.
वहीं गुढा के बयान को कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा का समर्थन भी मिला है. दिव्या ने कहा कि नौकरशाही की कार्यशैली से ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस सरकार को एक फॉर्च्यूनर में बैठाने का कोई अखंड संकल्प ले चुकी है.
बता दें कि राजस्थान में पहली बार ऐसा हो रहा है कि चुनावों से पहले सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी का माहौल जनता या विपक्षी दल बीजेपी की ओर से नहीं बनाया जा रहा है बल्कि खुद कांग्रेस के विधायक सरकार के रिपीट होने की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं और लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. ऐसे में कई अंदरूनी कारणों के चलते अशोक गहलोत का सरकार रिपीट करने का मिशन फंसा हुआ दिखाई देता है.मंत्री-विधायकों में एंटी इंकंबेंसी !
राजस्थान कांग्रेस में अब कांग्रेस के विधायक ही सरकार के रिपीट होने पर सवाल उठा रहे हैं. सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा ने कहा कि अगर पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो सरकार रिपीट नहीं होगी और एक फॉर्चूनर में आ जाएंगे राजस्थान में कांग्रेस के सारे एमएलए जो चारों धाम की यात्रा करेंगे. वहीं दिव्या मदेरणा ने इस पर कहा कि नौकरशाही की जो हालत है उससे ऐसा होता लग रहा है.
बता दें कि गुढा लगाकार पायलट की पैरवी करते हुए सीएम गहलोत पर पावर सेंट्रलाइज करने का आरोप लगा रहे हैं. वहीं मदेरणा लगातार ब्यूरोक्रेसी के कामकाज पर सवाल उठाते हुए गहलोत गुट को घेर रही हैं. इसके अलावा दिव्या ने 25 सितंबर से ही गहलोत कैंप के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है जहां वह कांग्रेस विधायक दल की बैठक का गहलोत कैंप के विधायकों के बहिष्कार करने को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं.
कई गुटों में बंटी पार्टी
कांग्रेस के नेता जहां राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं लेकिन राजस्थान कांग्रेस में पड़ी फूट कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं. हर दूसरे दिन बाद किसी ना किसी गुट का विधायक बयानबाजी कर देता है जिससे कांग्रेस की कलह फिर खुलकर सामने आ जाती है.
बीते दिनों पायलट खेमे के रामनिवास गावड़िया ने गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ को चप्पल-जूते उठाने वाला बताया जिसके बाद राठौड़ ने जवाब देते हुए गावड़िया को 2020 की बगावत याद दिलाई. इसके अलावा खुद सचिन पायलट ने हाल में पीएम मोदी के सीएम गहलोत की तारीफ करने पर तंज कसते हुए निशाना साधा था.
ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ नेताओं का मोर्चा
वहीं राजस्थान में चुनावों से 13 महीने पहले ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ विधायकों ने नाराजगी जाहिर करने के बाद मोर्चा खोल दिया है. ब्यूरोक्रेसी के साथ मंत्रियों के मनमुटाव खुलकर बाहर आ गए हैं. गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने हाल में एसीआर को लेकर ब्यूरोक्रेसी पर हमला बोला जिस पर कई मंत्रियों और विधायकों का उन्हें साथ मिला. इसके अलावा ब्यूरोक्रेसी पर लगाम को लेकर मंत्रियों में तू तू-मैं मैं भी हुई जहां महेश जोशी और खाचरियावास भिड़ गए.
वहीं बीते दिनों खेल मंत्री अशोक चांदना भी सीएम गहलोत के सलाहकार कुलदीप रांका पर गंभीर आरोप लगा चुके हैं. वहीं ब्यूरोक्रेसी को लेकर दिव्या मदेरणा लंबे समय से हमलावर हैं जहां वह लगातार गहलोत सरकार को घेर रही है.अनुशासनहीन नेताओं पर कब कार्रवाई ?
इसके अलावा कांग्रेस नेताओं की अनुशासनहीनता पर आलाकमान के कोई कार्रवाई नहीं करने पर कई कांग्रेसी नेताओं के बीच असंतोष पनप रहा है जहां बीते दिनों गहलोत खेमे के विधायकों द्वारा विधायक दल की बैठक रद्द करवाने के बाद पायलट खेमा लगातार आलाकमान से कार्रवाई की मांग कर रहा है लेकिन 40 दिन बीतने के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं इससे पहले पायलट खेमे के विधायक पर निकाय चुनावों में क्रॉस वोटिंग के आरोपों का मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.