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बीकानेर उठ सकती है कांग्रेस राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का पतन पार्टी में निष्क्रियता, परिवारवाद, नेतृत्वहीनता और जनता और पार्टी के बीच दूरी बढ जाने के कारण हुआ है। चिंतन शिविर में इन कमियों को हर स्तर पर महसूस किया गया है। इन कमियों से उबरने का पूरा खाका खींचा गया है। राष्ट्रीय कांग्रेस एक कार्य योजना के साथ अगले लोकसभा चुनाव में आ रही है। इसके लिए नीति भी बनाई गई है। चिंतन शिविर से यह तो स्पष्ट संकेत है कि अब कांग्रेस में नए सिरे से जान फूंकी जा रही है। विडंबनाओं से घिरी पार्टी हर स्तर से उठने का प्रयास करेगी ही।

यह तो सही अगर कांग्रेस की भारत जोड़ों यात्रा पूरे जोश खारोश के साथ निकलती है और इसमें पार्टी का हर कार्यकर्ता और नेता जिम्मेदारी के साथ जुड़ता है तो कांग्रेस जनता से खोया हुआ जुड़ाव पुन: प्राप्त कर सकती है। सवाल यह है की भारत जोड़ों यात्रा से पार्टी और कार्यकर्ता जनता में कितना बदलाव ला पाते हैं। जो श्रम साध्य हीं नहीं समर्पण और निष्ठा मांगता है। यह बात सही है की जनता महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त हो रही है। ऐसे में अगर कांग्रेस चिंतन शिविर में किए गए नीतियों पर दृढ़ संकल्पो के साथ आगे बढ़ती है तो निश्चित ही पार्टी को बढ़त मिलेगी। चिंतन शिविर में 50 से कम उम्र के 50 फीसदी लोगों को मौका देने, एक व्यक्ति एक पद, एक परिवार एक टिकट, पार्टी संगठन में सभी रिक्त पदों पर निश्चित अवधि में भर्ती जैसे निर्णयों से कुंडली मारकर नेताओं के एकाधिकार खत्म होंगे। नए लोगों को मौका मिलेगा। पार्टी में सक्रियता बढ़ेगी। जन जागरण यात्रा के अलावा समान विचारधारा की पार्टियों के साथ गठ बंधन, पार्टी का खुद का इलेक्शन डिपार्टमेंट, पब्लिक इन साइड डिपार्टमेंट, लीडरशिप मिशन, पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए राष्ट्रीय ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट समेत अन्य नीतिगत निर्णय पार्टी में नए सिरे से ऊर्जा भरने वाले हैं। कांग्रेस का विभिन्न स्तर का नेतृत्व कितनी सक्रियता दिखाता है। देखना है कि चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस पार्टी अपने राजनीतिक प्रतिद्धन्दी भाजपा और संघ को कैसे मात देती है।

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