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बीकानेर, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की साध्वीश्री विजयप्रभाश्री, साध्वीश्री चंदन बाला, प्रभंजनाश्री व साध्वी साध्वीश्री मृगावतीश्री व साध्वीवृंद के सान्निध्य में अक्षया तृतीया शुक्रवार को साध्वीश्री चिद्यशा सहित 11 श्राविकाओं का वर्षीतप पारणा का हुआ। वहीं कई गाजे बाजे से तपस्वियों की शोभायात्रा निकली। कई श्राविकाओं ने अक्षय तृतीया से ही अगले वर्षीतप की तपस्या शुरू की।

तपस्वियों की शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए ढढ्ढा कोटड़ी पहुंची। जहां श्रेयांस कुमार का स्वरूप धारण किए हुए रतलाम के नीतिन तातेड़ व कीर्ति, श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री जिनेश्वर युवक परिषद, श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक युवक संघ तथा तपस्वियों के परिजनों की ओर से गन्ने का ज्यूस (इक्षु रस) पिलाकर तपस्या का पारणा करवाया गया। तपस्वियों ने नाहटा चौक के भगवान आदिनाथ, भुजिया बाजार के चिंतामणि आदिनाथ सहित विभिन्न जिनालयों में स्थित भगवान आदिनाथ की पूजा की। अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर असी,मसी, व कृषि का सर्वप्रथम ज्ञान देने वाले भगवान आदिनाथ के मंत्र का जाप, आयम्बिल, उपवास, बेला व तेला की तपस्याएं की।
गाजे बाजे से निकली शोभायात्रा मेंं साध्वीश्री चिद्यशा पैदल साध्वीवृंद व श्रावक-श्राविकाओं के साथ पैदल चल रहीं थीं। वहीं 10 तपस्वी रथ पर सवार थी। शोभायात्रा में शामिल श्रावक-श्राविकाएं जैन धर्म, भगवान आदिनाथ का जयकारा व वर्षीतप का किया पारणा आखा तीज महान, अनुमोदना, अनुमोदना, अनुमोदना बारम्बार के नारे लगा रहे थे। अनेक स्थानों पर गंवली सजाकर व मोतियों की माला पहनाकर अभिनंदन किया गया।
श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि तपस्वियों में जैन धर्म के सभी पंथ व समुदाय की श्राविकाएं शामिल है। श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, बीकानेर मूल की साध्वीश्री चिद्यशाजी का दूसरा वर्षीतप का पारणा था। उन्होंने महामांगलिक प्रदात्री प्रवर्तिनी गुरुवर्या चन्द्रप्रभा के सान्निध्य में 30 वर्ष दीक्षा के प्रथम वर्ष ही वर्षीतप किया था। वर्षीतप में एक दिन उपवास व दूसरे दिन बयासना यानि दोनों वक्त सीमित आहार लिया जाता है।
तपस्वियों में बीकानेर मूल की नागपुर प्रवासी दो श्राविकाएं शामिल थी। वे अपने करीब 52 परिजनों के साथ बीकानेर में पारणा करने नागपुर से पहुंची थीं। श्रीमती चंपा देवी कोचर 22 बार वर्षी तप की तपस्या कर चुकी है। उन्होंने आजीवन वर्षीतप का संकल्प लेते हुए शुक्रवार को 23 वां वर्षीतप शुरू किया। श्राविका जय सुन्दरी देवी पारख ने दसवां वर्षीतप पूर्ण किया। सिलीगुड़ी आसाम से वर्षीतप का पारणा करने पहुंची सरोज देवी मिनी ने 11 वां वर्षी तप शुरू किया। श्रीमती विजया देवी सिरोहिया, पुष्पा देवी कोचर, तारा बोथरा, ृसुनीता देवी ललवानी, मंजू देवी दफ्तरी सहित सभी तपस्विनों ने तपस्या के दौरान देव गुरु व धर्म की भक्ति में समय व्यतीत किया। सांसारिक भोग विलास की वस्तुओं में आनंद लेने वाली शांति देवी नाहटा तप कर अपने आप को गौरान्वित महसूस कर रहीं थी।
जिनेश्वर युवक परिषद के मंत्री मनीष नाहटा व श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष संजय कोचर ने बताया कि तपस्वियों का सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट की ओर से रतन लाल नाहटा, राजेन्द्र नाहटा, श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के अध्यक्ष अजीत सिंह खजांची, मालचंद बेगानी, राजेन्द्र लूणिया, डॉ.पिन्टू नाहटा व साध्वीश्री चिद्यशा के परिजन बोथरा परिवार व तपस्वियों के रिश्तेदारों आदि ने भी उनका अभिनंदन किया। साध्वीश्री चिन्मया ने मंगलाचरण किया। साध्वीश्री चंदन बाला, प्रभंजनाश्री, नित्योदाया, तपस्वी साध्वीश्री चिद्यशा ने प्रवचन किए। बालिका गरिमा नाहटा के नेतृत्व में नृत्य नाटिका, श्रीमतद बिन्दू डागा व मनोज तातेड़ ने भक्ति गीत, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ से सम्बद्ध ज्ञान वाटिका के बच्चों ने नृत्य किया। तपस्या के अभिनंदन का लाभ भदोई निवासी, बीकानेर प्रवासी माणक चंद, विमल चंद सुराणा परिवार ने लिया। शोभायात्रा के लाभार्थी संपतलाल, संपत देवी परिवार के नवरत्न, केसरीचंद, दिनेश,राजीव निकुंज, कपिश बोथरा परिवार, आशा, तारा, रचना व अंजनी, इक्षु रस के लाभाथी मोती लाल, कंचदन देवी, हेमंत कुमार, कविता देवी, धीरज कुमार , पूजा, आरव नाहटा परिवार कोलकाता/बीकानेर थे। आदिनाथ मंदिर के पास पूनमचंद नव रतन नाहटा परिवार की ओर से इक्षु रस की सेवा की गई। श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि चिंतामणि भगवान आदि नाथ मंदिर में स्नात्र पूजा, इक्क्षू रस से भगवान को पारणा सहित विविध आयोजन हुए।

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