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बीकानेर,राजविलास भवन के पास सुनील मिढ्ढा के निवास पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन श्री ललित किशोर व्यास ने कहा कि भगवान वहीं है जहा सत्संग और कथा है। बार बार सुनने से ऐसा होगा की किसी न किसी वाणी से हिरदया रूपी पत्थर पर लगेगी तो करुणा की धारा तक पहुंच जायेंगे। श्रीमद् भागवत बार-बार सुने जिसे कभी न कभी फल जरूर मिलेगा। भगवान का मन हमेशा वर्दावन में ही रहता है। भगवान के मित्र उद्धव जी बने, वे जब भी भगवान के पास बैठते तो हमेशा ज्ञान की ही चर्चा करते। परिवार में प्रेम और समृति रहनी चाहिए। प्रेम में ही हमेशा मन लगता है। समस्त संबंध तो शरीर के है। सभी भगवान को अपनाना चाहते हैं लेकिन भगवान से प्रेम कितना करते हो ये आप को पता हैं। भक्ति और प्रेम ही श्रेष्ठ हैं। भोले भंडारी तो जल से ही खुश हो जाते हैं, इसीलिए उन्हें देवों के देव कहा जाता हैं। जीवन में जब भी मौका मिले तो आप को दान जरूर करना चाहिए। भगवान ने आप को समर्थ बनाया हैं। जीवन में गौ दान, कन्या दान, भूमिदान जो भी मौका मिले दान जरूर करें। जीवन में जैसे ही मौका मिले अपने हाथ से दान अवश्य करें। आज इंसान कोन बनना चाहता है, सभी भगवान बनना चाहते है। भगवान बनना तो आसान हैं जबकि इंसान बनना बहुत मुश्किल हैं। जिस घर की नारी शक्तिशाली होती हैं, उस घर का पुरुष भी शक्तिमान होता हैं। जीवन में एक सूत्र बांध लेना की कभी भी सभी दरवाजे बंद नहीं होते जबकि भगवान कोई न कोई रास्ता खुला रखता है। हमारी परंपरा है कि हम कहीं भी खाली हाथ नहीं जाएं। सोमवार कथा का समापन हुया। मंगलवार को भंडारे का कार्यक्रम होगा। कथा सुनील मिड्ढा (बंटी) ने करवाई। सात दिवसीय कथा में रामकिशन बजाज, दुर्गेश गाबा, मदन अरोड़ा रोकी राजपाल, सतीश मुटरेजा, कुलदीप तुलसेजा, विजय भक्ता, भूपेश छाबड़ा, मोहित गाबा आदि ने तन और मन से सेवा की।

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