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बीकानेर,लम्पी पर सरकार की कार्य प्रणाली पर सवाल पर सवाल उठ रहे हैं। पहले समय पर टीकाकरण नहीं कराया फिर विधानसभा में सरकार ने प्रदेश में लम्पी से सिर्फ 70030 गायाें की ही माैत मानी।

अब सरकार ने मुआवजे के लिए उनकाे ही पात्र समझा जिसने पशुओं का सरकारी डाॅक्टर से इलाज कराया। इसमें भी पालकाें काे अधिकतम दाे गायाें का ही मुआवजा देने की घाेषणा हुई है। पिछले साल लम्पी ने प्रदेश और देश की लाखों गायों को मौत के घाट उतार दिया। बीकानेर के जोड़बीड़ में मिली गायों की लाशें इस बात की गवाही दे रही थी कि अकेले बीकानेर में ही हजारों गाय मर चुकी, लेकिन सरकार ने 2985 गायों की मौत ही मानी।

लम्पी का ज्यादा प्रकाेप पश्चिमी राजस्थान में था, जहां तीन लाख से ज्यादा गायाें की माैत बताई जा रही है। लेकिन सरकार ने जोधपुर में 4159, बाड़मेर 2847, जैसलमेर 982, जालौर 3235, पाली 2136, चूरु 3756, हनुमानगढ़ 3191, गंगानगर 4878 पशुओं की मौत मानी। बारी पीड़ित पशुपालकाें काे राहत की आई ताे प्रदेश में 70030 गायाें काे मृत मानते हुए एक पशुपालक काे अधिकतम दाे मृत गायाें के पेटे 40-40 हजार रुपए देने की बात सरकार ने कही। सरकार ने जाे 70030 गाय मृत मानी उसमें भी करीब 15 हजार गाय गाेशाला की और आवारा बताई जा रही हैं, जिन्हें मुआवजे से बाहर रखा गया।

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