
बीकानेर, राजुवास के कौशल विकास केंद्र में आयोजित तीन दिवसीय व्यावसायिक भेड़ एवं बकरी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का बुधवार को सम्पंन हुआ। प्रशिक्षण कार्यक्रम सुमंगल जन कल्याण ट्रस्ट और डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. राहुल सिंह पाल, अधिष्ठाता डेयरी कॉलेज, ने कहा कि वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर किसान भाई पशुपालन व्यवसाय से अधिक लाभ कमा सकते है। इस प्रशिक्षण में पशुपालन से जुड़े किसानों, युवाओं और उद्यमियों को वैज्ञानिक पद्धति से भेड़-बकरी पालन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में विश्वविद्यालय और महाविद्यालय के विशेषज्ञों ने आधुनिक तकनीकों, पोषण प्रबंधन, टीकाकरण, आवास व्यवस्था, विपणन रणनीति और सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी, जिससे पशुपालक अपने व्यवसाय को अधिक लाभदायक बना सकें। मुख्य अतिथि अपर जिला न्यायधीश एवं सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती मांडवी राजवी ने अपने संबोधन में कहा कि भेड़-बकरी पालन ग्रामीण युवाओं और किसानों के लिए एक स्वावलंबी व्यवसाय बन सकता है, जिससे आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूती मिलेगी। उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति अपनाकर बकरी पालन से आमदनी को दोगुना करने की बात कही। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि श्री ललित प्रकाश मोदी, क्षेत्रीय प्रबंधक, राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक, ने पशुपालकों को वित्तीय सहायता योजनाओं की जानकारी दी और बताया कि बैंक इस क्षेत्र में ऋण उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। सुमंगल जन कल्याण ट्रस्ट के प्रतिनिधि गजेंद्र सिंह ने बताया की ट्रस्ट पशुपालकों, किसानों और उद्यमियों के लिए एक मंच प्रदान करेगा, जहां विषय विशेषज्ञ, बैंक और सरकारी विभाग मिलकर कार्य करेंगे। इस मंच के माध्यम से पशुपालकों को तकनीकी मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता, सरकारी योजनाओं की जानकारी और बाजार से जुड़ने के अवसर मिलेंगे। यह पहल पशुपालन क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ-साथ किसानों की आय बढ़ाने में भी सहायक होगी। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 6 जिलों (सीकर, चूरू, जयपुर, गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर) से 30 प्रतिभागी शामिल हुए। जिन्हें प्रमाण पत्र वितरित किए गए। प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों डॉ. आर. के. सांवल (पूर्व निदेशक, कैमल रिसर्च सेंटर), डॉ. आर. के. बेरवाल, डॉ. नीरज शर्मा, डॉ. अमित चौधरी, डॉ. मनोहर सैन, डॉ. दिवाकर, डॉ. रीटा, डॉ. लोकेश टाक, डॉ. सुनील जांगिड़ और डॉ. मुकुल सैन ने व्याख्यान प्रस्तुत किये। वीरेंद्र लुणू ने धन्यवाद ज्ञापित किया।