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बीकानेर वाले पेशे से उद्घोषक और लेखक लेकिन शौक ज्योतिष, श्रीमद् भगवतगीता और प्रचार प्रसार का। दीपक गोस्वामी 2003 में बीकानेर से निकले तो थे आकाशवाणी उदघोषक बनने लेकिन, चल पड़े अध्यात्म के रास्ते पर। बीस साल तक मीडिया और फैशन की चमक-दमक में रहे। लेकिन वल्लभाचार्य सम्प्रदाय के संस्कारों से दूर नहीं हुए। अध्यात्म की ओर निरंतर अग्रसर रहे। जीवन में कर्म और अध्यात्म के गणित को समझने के लिए श्रीमद् भागवत गीता को आत्मसात किया। इसी के बलबूते अपनी पहचान कायम की।

दीपक वल्लभ गोस्वामी कहते हैं कि श्रीमद् भगवत गीता जीवन का वो नियम है, जो हम सब भूल चुके हैं। गीता के अनुसार जीवन के नियम हमें स्वतंत्र करते हैं न कि बांधते हैं। हम आध्यात्म परंपरा, संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं, जिसका परिणाम कष्ट और परेशानियां हैं। ऐसे में आधुनिक विचारधारा के साथ अध्यात्म की सूक्ष्म जानकारी होने से जीवन की सफलता निश्चित है। साल 2018 में आध्यात्मिक ज्ञान संस्थान की स्थापना की। जिसके माध्यम से सनातन धर्म, कला, संस्कृति, देशहित के प्रचार-प्रसार में लगे हुए है। साल 2012 में प्रदेश में प्लास्टिक को प्रतिबंधित कराने के लिए हुए आंदोलन में भी सक्रिय रहे। वर्तमान में दीपक वल्लभ गोस्वामी जयपुर के बिलवा रोड स्थित श्रीराधा सरल बिहारी मंदिर के महंत हैं। मंदिर के 38 बीघा परिसर में श्रीकृष्णा और राधा के अलौकिक विग्रह, श्रीनाथजी, तिरुपति बालाजी, शिव परिवार, सर्लेश्वरि देवी सहित हनुमानजी का विग्रह है। भक्तों के लिए गौ शाला में रहने की व्यवस्था भी है। वे महंत के रूप में यहां निःस्वार्थ भाव से सेवा कर रहे हैं। देश के कई विश्वविद्यालयों, स्कूलों और संस्थाओं के माध्यम से युवाओं में धर्म की अलख जगा रहे हैं। साथ ही असहाय युवा और बुजुर्गों की सेवा, दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भोजन, शिक्षा व रोजगार की व्यवस्था के लिए सक्रिय है।

जयपुर में गुरुकुल की शिक्षा जैसे भगवतगीता, शास्त्री, आचार्य, पंडित ज्योतिष, वास्तुज्ञान के कोर्स की शुरुआत भी करने वाले है। गोस्वामी कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं। लेखन, धर्म और ज्योतिष के लिए अनेकों सम्मान भी मिल चुके हैं।

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